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RSS नक्सलियों से ज्यादा खतरनाक: सांसद दीपक बैज

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Published : Jan 25, 2021, 12:53 PM IST

Updated : Jan 25, 2021, 1:51 PM IST

बस्तर सांसद दीपक बैज ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) नक्सलियों से ज्यादा खरतनाक है. बैज ने आरोप लगाया कि बस्तर में आदिवासियों के विरोध प्रदर्शन के पीछे आरएसएस का हाथ है.

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सांसद दीपक बैज ने आरएसएस को लेकर विवादित बयान दिया

बीजापुर:कांग्रेस सांसद दीपक बैज ने कहा कि छत्तीसगढ़ में RSS, नक्सलियों से भी ज्यादा खतरनाक है. बैज ने कहा कि बीजेपी और RSS नक्सल प्रभावित गांवों के ग्रामीणों को बरगला रहे हैं, जिससे वहां विकास न हो पाए. बैज ने कहा कि बीजेपी और RSS की ये मंशा कभी पूरी नहीं होगी. प्रदेश की कांग्रेस सरकार अंतिम गांव तक विकास करेगी.

सांसद दीपक बैज ने RSS को नक्सलियों से ज्यादा खतरनाक बताया

दरअसल पत्रकारों ने सांसद दीपक बैज से सवाल किया कि दक्षिण बस्तर में आदिवासी ग्रामीण सड़कों पर आकर पुल, सड़क और कैंप खोले जाने का विरोध कर रहे हैं, इस पर आप क्या सोचते हैं. इस सवाल का जवाब देते हुए बैज ने कहा कि इन सबके पीछे भाजपा और RSS का हाथ है. बीजेपी की कई ऐसी शाखाएं हैं. RSS एक ऐसी शाखा है जो नक्सलियों से ज्यादा खतरनाक है.

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विकास के लिए निकाली रैली

23 जनवरी को निर्माण कार्य के नाम पर पेड़ों की कटाई के विरोध में अन्तागढ़ ब्लॉक के सैकड़ों गांव के ग्रामीणों ने रैली निकालकर प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने देवी स्थलों का संरक्षण, शिक्षा, स्वास्थ और पेयजल की सुविधा मुहैया कराने की मांग भी की. इस प्रदर्शन में क्षेत्र के हजारों ग्रामीण शामिल हुए. रैली मुख्य मार्ग से होते हुए SDM कार्यालय पहुंची, जहां राज्यपाल के नाम SDM को ज्ञापन सौंपा गया था.

23 दिसंबर को कांकेर में हुआ था प्रदर्शन

कांकेर के प्रतापपुर से कोयलीबेड़ा मार्ग पर करकाघाट और कामतेड़ा में दो बीएसएफ कैंप खोले जाने का विरोध ग्रामीणों ने कियाय कोयलीबेड़ा क्षेत्र 7 परगना के 103 गांव के हजारों ग्रामीण पखांजूर बस स्टैंड के पास अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए थे. मामले में एडिशनल एसपी गोरखनाथ बघेल का कहना है था कि ग्रामीण नक्सलियों के दबाव में प्रदर्शन कर रहे हैं. कलेक्टर ने कहा कि विकास विरोधियों को जवाब दिया जाएगा.

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18 दिसंबर को भी हुआ था प्रदर्शन

कोयलीबेड़ा क्षेत्र में 103 ग्राम पंचायत के ग्रामीण बीएसएफ कैंप खोले जाने के विरोध में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठ गए थे. शासन जिले के कुछ इलाकों में नक्सल विरोधी अभियान के तहत कैंप खोल रही है. इसके तहत 29 नवंबर को कुछ जगहों पर नए बीएसएफ कैंप खोले गए हैं. जिसमें कड़काघाट और तुमिरघाट भी शामिल हैं. बीएसएफ कैंप खुले महज 15 दिन ही हुए थे कि ग्रामीणों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है.

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बस्तर आईजी ने क्या कहा था ?

बस्तर रेंज के आईजी सुंदरराज पी ने बताया कि साल 2020 में बस्तर पुलिस और अर्धसैनिक बल ने नक्सलियों के मांद में घुसकर अपनी मौजूदगी भी दर्ज कराई. ऐसे इलाकों में नए पुलिस कैंप भी स्थापित किए जहां नक्सलियों की तूती बोलती है. आईजी ने बताया कि पिछले 10 साल की तुलना में एक साल के अंदर बस्तर संभाग के घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में 16 नए पुलिस बेस कैंप खोले गए. यह कैंप ऐसी जगह पर स्थापित किए गए हैं. जहां नक्सलियों की सबसे ज्यादा मौजूदगी होती है.

आईजी ने बताया था कि पुलिस कैंप खोलने में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना भी करना पड़ा. ग्रामीणों की आड़ में नक्सली कैंप के खुलने का लगातार विरोध करते रहे. कई जगह तो नक्सलियों के द्वारा लगाए गए आईईडी ब्लॉस्ट की चपेट में आकर कई जवान शहीद हुए. लेकिन पुलिस के जवानों का मनोबल कमजोर नहीं हुआ. बस्तर पुलिस ने अपनी रणनीति के अनुसार नए पुलिस कैंप स्थापित करने में सफलता हासिल की है. शुरुआत में ग्रामीणों ने पुलिस कैंप का जमकर विरोध किया. लेकिन जैसे ही कैंप स्थापित हुआ और जवानों ने ग्रामीणों को अपने भरोसे में लिया. उसके बाद धीरे-धीरे उन गांवों में विकास कार्य तेजी से पहुंचने लगा.

Last Updated : Jan 25, 2021, 1:51 PM IST

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