बीजापुर : पूर्वजों के अनुसार इस गोवर्धन पर्वत और वीरान गुफा की खोज लगभग 1900 में राजाओं ने की थी. यहां प्रति वर्ष सकलनारायण मेला चैत्र कृष्ण पक्ष अमावस्या के तीन दिन पूर्व प्रारंभ होता है और चैत्र शुक्ल प्रतिपदा नवरात्रारंभ गुड़ी पड़वा के दिन समापन होता है. कहा जाता है कि यह मेला हिंदी वर्ष का अंतिम मेला और हिंदी वर्ष का आगमन मेला है. प्रति वर्ष हजारों लोगों की भीड़ में श्रद्धालु आकर श्रद्धा भाव से पूजा अर्चना कर बीते हुए वर्ष से विदाई लेकर नए वर्ष के आगमन पर भगवान श्री कृष्ण जी से सुख शांति समृद्धि और सौभाग्य की शुभकामना मांगते हैं.
गोवर्धन पर्वत का रहस्य: इस पर्वत की ऊंचाई लगभग 1000 से 1100 मीटर है. चारों ओर हरे भरे फूल पेड़ पौधों से घिरा हुआ सकरा पगडंडी रास्ता होने के कारण 3-4 किलोमीटर दूर तय करनी पड़ती है .रास्ता तय करते हुए चारों ओर हरे भरे पौधों और रंग बिरंगे फूलों से लदे मनोरम छटा मन को लुभाती हैं.यह गुफा के प्रवेश द्वार के ऊपरी हिस्से में मधुमक्खियों के कई छत्ते हैं. यदि कोई व्यक्ति अपने मन में गलत धारणा या विचार रखता है तो प्रवेश द्वार के पहुंचने के पूर्व ही मधुमक्खियां कुछ संख्या में आकर व्यक्ति पर आक्रमण कर देती हैं. यह चमत्कार वास्तव में अद्भुत है. विचित्र बात ये है कि गुफा का द्वार पहले की अपेक्षा थोड़ा घट गया है.