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प्रवासी पक्षियों के 'घर' में बर्ड फ्लू के खतरे से अनजान ग्रामीण

गिधवा नांदघाट से महज 8 किलोमीटर दूर पथरिया रोड पर 52 एकड़ में फैले जलाशय और 2 बड़े पुराने तालाब है. ये क्षेत्र प्रवासी पक्षियों का अघोषित अभयारण्य माना जाता है. पिछले 20-25 साल से यहां प्रवासी पक्षी पहुंचते हैं. जो करीब 5 से 6 महीने तक रहते हैं, ये इनका प्रजनन काल होता है. बर्ड फ्लू के खतरे से अनजान ग्रामीण रोज पक्षियों के पास जाते हैं. जिन्हें अलर्ट करने के लिए जिला प्रशासन ने अब तक कोई पहल नहीं की है.

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Published : Jan 13, 2021, 7:18 PM IST

migratory birds land of bemetara
प्रवासी पक्षियों का घर

बेमेतरा: देश में बर्ड फ्लू के मामले और प्रदेश के विभिन्न जिलों में पक्षियों की मौत के बाद भी बेमेतरा जिला प्रशासन सजग दिखाई नहीं दे रहा है. जिले के नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम गिधवा में विदेशी मेहमान डेरा डाले हुए हैं. जहां चारो ओर गंदगी पसरी हुई है, बर्ड फ्लू के खतरे से अनजान ग्रामीण रोज पक्षियों के पास जाते हैं. जिन्हें अलर्ट करने जिला प्रशासन ने अब तक कोई पहल नहीं की है.

बर्ड फ्लू के खतरे से अनजान ग्रामीण

25 साल से इन पक्षियों की हिफाजत कर रहे ग्रामीणों ने पक्षी विहार बनाने की पहल 2014 में की थी. लेकिन 6 साल बीत जाने के बाद भी पक्षी विहार बनाने का काम शुरू नहीं हो सका है. ग्रामीणों ने बताया कि 2 साल पहले तालाब में आधे अधूरे जाली तार लगाये गए. जिसके बाद कोई काम नहीं हुआ है. वहीं सफाई के अभाव में तालाब से बदबू आ रही है. जिससे बीमारी का खतरा बना हुआ है.

प्रवासी पक्षी

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गिधवा नांदघाट से महज 8 किलोमीटर दूर पथरिया रोड पर 52 एकड़ में फैले जलाशय और 2 बड़े पुराने तालाब है. जो क्षेत्र प्रवासी पक्षियों का अघोषित अभयारण्य माना जाता है. जानकारों की माने तो सर्दियों की दस्तक के साथ अक्टूबर से मार्च के बीच यहां विदेशी मेहमान साइबेरिया, बर्मा और बांग्लादेश से पहुंचते हैं. जलाशय की मछलियां, गांव की नम भूमि और जैव विविधता इन्हें अपनी ओर आकर्षित करती है. गिधवा की दोनों वॉटर बॉडी में गैडवाल, मार्श, सेंड पाइपर, काॅमन सेंड पाइपर, कॉमन ग्रीन शेक, काॅमन रेड शेक आदि प्रकार के पक्षी जल विहार करते हैं. इनके अलावा यहां स्थानीय पक्षियों की दर्जनों प्रजातियां पाई जाती हैं.

ग्रामीण, पक्षियों की करते हैं सुरक्षा

गिधवा गांव के ग्रामीणों ने बताया कि पिछले 20-25 साल से यहां विदेशी मेहमान पहुंचते हैं. जो करीब 5 से 6 महीने तक रहते हैं. ये इनका प्रजनन काल होता है. इसके बाद वे पुनः लौट जाते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि गांव में 2 तालाब और एक जलाशय है. जहां ये रंग बिरंगे पक्षी जलविहार करते हैं. जिन्हें मारने या भगाने को लेकर मनाही है. यह पक्षी हमारे लिए मेहमान की तरह है. ग्रामीणों ने कहा कि शासन-प्रशासन को पक्षी विहार बनाने के लिए पत्र लिखा गया था. लेकिन अब तक इस कोई भी सकारात्मक पहल होते नजर नहीं आ रही है. कलेक्टर शिव अनंत तायल ने पक्षी विहार को वन विभाग के अधीन बताकर पल्ला झाड़ लिया और बर्ड फ्लू पर वन विभाग के निर्देश पर कार्रवाई करने की बात कही है.

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