बेमेतरा:नेत्रदान को महादान कहते हैं, क्योंकि ये किसी के अंधेरे जीवन में खुशियों का रंग लाता है. इसी महादान की अच्छी पहल को आगे बढ़ाते हुए बेमेतरा के एक व्यवसाई परिवार ने समाज को एक अच्छा संदेश दिया है.
सोमवार सुबह सिंधी पारा निवासी व्यवसाई जमुनादास सुखवानी की पत्नी ममता सुखवानी का 65 साल की उम्र में आकस्मिक निधन हो गया. जिसके बाद परिजनों ने ममता सुखावानी के नेत्र को दान करने का फैसला लिया.
नगर में नेत्रदान की अनोखी पहल नगर पालिका बेमेतरा में उपाध्यक्ष विजय सुखवानी की मां ममता सुखवानी के निधन के बाद उन्होंने परिजन की सहमति से मृत मां की नेत्र दान करने की पहल की और डॉक्टरों को बुलाकर नेत्र दान कर दिया. मोटवानी परिवार इससे पहले भी नेत्रदान कर चुके हैं.
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नेत्र विशेषज्ञ डॉ विनय ताम्रकार ने बताया कि नेत्रदान महादान है. मनुष्य के निधन के बाद उसके शरीर का नेत्र ही वह भाग है जिसका उपयोग फिर से किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मानव समाज के लिए है यह सराहनीय प्रयास है.