बेमेतरा:लॉकडाउन के बाद छत्तीसगढ़ सरकार के निर्देशानुसार बेमेतरा जिला में आंगनबाड़ी केंद्र खुल गए हैं. लेकिन आंगनबाड़ी केंद्रों में दूध और अंडे जैसे पूरक पोषण आहार की पूर्ति शुरू नहीं की गई है. बच्चों को दाल, चावल, खिचड़ी, सब्जी परोसी जा रही है. दूध और अंडों की सप्लाई नहीं होने से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. जिम्मेदार सरकार की ओर से सप्लाई होने की बात कह कर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में कुपोषण की समस्या से निपटने के लिए पहले की सरकारों के साथ वर्तमान की भूपेश बघेल सरकार कई योजनाएं चला रही है. भूपेश बघेल की सरकार ने कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ के लिए 2 अक्टूबर 2019 को महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान की शुरुआत की थी. अभियान में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करने के साथ कुपोषितों को न्यूट्रिशन उपलब्ध कराने पर जोर दिया गया था.
कुपोषण का कलंक: कितना सच है भूपेश सरकार का 3 साल में कुपोषण मुक्त छत्तीसगढ़ का दावा ?
आंगनबाड़ी केंद्रों में दूध की सप्लाई बंद
कोरोना की वजह से आंगनबाड़ी केंद्र बंद थे. राज्य सरकार से प्राप्त निर्देश के बाद पिछले 1 महीने से आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन हो रहा है. जहां बच्चों को पोषण आहार के रूप में दिए जाने वाले मीठे दूध की सप्लाई बंद है. अंडे की सप्लाई के विरोध के कारण बेमेतरा जिला में इस दिशा में काम ही नहीं हो पाया. आंगनबाड़ी आ रहे बच्चों को चावल, दाल, रोटी सब्जी दी जा रही है. दूध की सप्लाई बंद होने पर ETV भारत ने समीक्षात्मक रिपोर्ट तैयार की.
सप्ताह में एक दिन मिलता था बच्चों को दूध
आंगनबाड़ी में बच्चों की उपस्थिति अब भी कम है. करीब 50 फीसदी बच्चे ही आंगनबाड़ी पहुंच रहे हैं. नौनिहालों के आहार में शासन ने सुगंधित मीठे दूध की कटौती कर दी है. बच्चों को सप्ताह में 1 दिन 100 ग्राम दूध दिया जाता था.
कुपोषण का कलंक: कुपोषित बच्चों की संख्या में हुआ इजाफा
जिले में 1079 आंगनबाड़ी केंद्र है संचालित