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SPECIAL: लॉकडाउन ने छीना कुम्हारों का व्यापार, परिवार चलना हुआ मुश्किल

छत्तीसगढ़ में किए गए लॉकडाउन के कारण कुम्हारों की हालत बद से बदतर होती जा रही है. कुम्हारों का काम धीरे-धीरे खत्म हो होने की कगार पर है. पीढ़ियों से पुरखों की विरासत बढ़ाने वाले कुम्हार परिवार इन दिनों आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं.

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कुम्हार

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Published : Jul 30, 2020, 10:30 AM IST

बेमेतरा: आज पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. कोरोना वायरस के कारण किए गए लॉकडाउन ने देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर रख दी है. इस लॉकडाउन से सबसे ज्यादा प्रभावित मजदूर, कुम्हार, छोटे कारोबारी हुए हैं. लॉकडाउन ने कुम्हारों की आजीविका पर ऐसा चाबुक चलाया है कि वे दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं.

गणेश उत्सव का समय आते ही जहां बाजार तरह-तरह की गणेश प्रतिमाओं से सज जाता था, वहीं इस बार यहां सन्नाटा पसरा है. कुम्हार आज आजीविका के अभाव में जीवन जीने को मजबूर हैं. कुम्हारों का कहना है कि त्योहारों के समय में मिट्टी के सामान की अच्छी खासी बिक्री होती थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन की वजह से बिक्री काफी प्रभावित हुई है.

लॉकडाउन ने छीना कुम्हारों का व्यापार

कुम्हारों का काम हुआ ठप

बेमेतरा के धनगांव में कुम्हारों की बड़ी बस्ती है. यहां के कुम्हारों का जीवन मिट्टी में बसा हुआ है. कुम्हार मिट्टी के बर्तन, खिलौने और अन्य सामग्रियां बनाकर अपनी गुजर-बसर करते हैं. त्योहारों के सीजन में गणेश और दुर्गा की मूर्ति इनका मुख्य व्यवसाय होता है, लेकिन कोरोना के कारण इनका काम पूरी तरह से ठप हो गया है.

चाक पर काम करता कुम्हार

नहीं हो रही मूर्तियों की बुकिंग

कुम्हारों ने मिट्टी के बर्तन, गणेश प्रतिमा बनाकर दुकान तो सजा दी है, लेकिन इन्हें खरीदने वाला कोई नहीं है. गणेश उत्सव और छत्तीसगढ़ के पारंपरिक त्योहार पोला नजदीक आ गया है. कुम्हार भगवान गणेश की प्रतिमाएं और सुंदर-सुंदर खिलौने भी बनाकर तैयार हैं, लेकिन अब तक लोगों ने मूर्तियों की बुकिंग नहीं कराई है.

परिवार चलाने में हो रही परेशानी

कोरोना के विकराल रूप को देखते हुए सरकार ने गणेश प्रतिमा की ऊंचाई भी 4 फीट से ज्यादा रखने से मना कर दिया है. जिसकी वजह से कुम्हारों को दोहरा झटका लगा है. कुम्हारों ने बताया कि पिछले कई महीनों से कारोबार ठप है, जिससे परिवार चलाने में परेशानी हो रही है.

गणेश का प्रतिमा

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थम गए चाक के पहिए

कुम्हार दयालु चक्रधारी ने बताया कि मिट्टी के मटके से उन्हें काफी कमाई हो जाती थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन के कारण न तो दुकानें चल रही हैं और न ही चाक. उन्होंने बताया कि पिछले पांच महीनों से व्यापार नहीं होने के कारण उनके लिए रोजी-रोटी की समस्या पैदा हो गई है. वे कहते हैं कि अब बस गणेश उत्सव से ही आस है कि लोग गणेश की प्रतिमा खरीद लें. जिससे कुछ रुपए मिल सकें.

गणेश की प्रतिमा बनाता कुम्हार

लॉकडाउन में छूट देने की मांग

कुम्हारों ने इस संकट को देखते हुए सरकार और प्रशासन से गणेश प्रतिमा की बिक्री करने और लॉकडाउन में छूट देने की मांग की है, ताकि आने-वाले दिनों में उन्हें जीवनयापन करने में कठिनाईयों का सामना करना न पड़े.

चाक पर काम बर्तन बनाता कुम्हार

कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट

पीढ़ियों से पुरखों की विरासत को बढ़ाने वाले कुम्हार परिवार इन दिनों आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. लॉकडाउन ने कुम्हारों की आजीविका पर ऐसा चाबुक चलाया है कि वे दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं. चाक के थमने के साथ-साथ कुम्हारों की जिंदगी के पहिए भी थम से गए हैं. कर्ज के तले दबे कुम्हारों के सामने रोजी-रोटी का संकट आ खड़ा हुआ है.

गणेश की प्रतिमा बनाती महिला

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