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मासूमों के सिर पर मंडरा रही 'मौत', सोचने को मजबूर करती है इन हॉस्टलों की दशा

जिला मुख्यालय में प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति छात्रावास की हालत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. छत का प्लास्टर जर्जर होकर गिर रहा है. हॉस्टल की हालत इतनी बदतर हो गई है कि उसकी मरम्मत भी नहीं कराई जा सकती है. वहीं विभाग बार-बार इसकी मरम्मत कराने की बात कर रहा है.

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Published : Jul 25, 2019, 2:08 PM IST

जर्जर स्कूल

बेमेतरा: प्रदेश सरकार समाज के पिछड़े तबके को आगे बढ़ाने के लिए तमाम योजनाएं चला रही है, लेकिन सरकार के तमाम योजनाओं के बाद भी नौनिहालों को न तो बेहतर छात्रावास नसीब हो रहा है और न ही स्कूल भवन. जिला मुख्यालय में 20 साल पुराना हॉस्टल पूरी तरह जर्जर हो चुका है. अपना घर छोड़कर छात्रवास में रह रहे अनुसूचित जाति के बच्चों के सिर पर छत गिरने का खतरा मंडरा रहा है.

हॉस्टल की हालत जर्जर

पूरे भवन की हालत खस्ता
जिला मुख्यालय में प्री मैट्रिक और पोस्ट मैट्रिक अनुसूचित जाति छात्रावास की हालत पूरी तरह जर्जर हो चुकी है. छत का प्लास्टर जर्जर होकर गिर रहा है. छात्रावास के पोर्च, रसोई, हॉल, रूम, बाथरूम सभी जगहों पर दरारें पड़ गई हैं. इससे यहां आने वाले बच्चों पर छत गिरने का खतरा है. हॉस्टल की हालत इतनी बदतर हो गई है कि उसकी मरम्मत भी नहीं कराई जा सकती है. वहीं विभाग बार-बार इसकी मरम्मत कराने की बात कर रहा है.

20 में सात छात्रावास जर्जर
आदिवासी विकास विभाग की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में 20 छात्रावास और एक आश्रम हैं. इसमें 6-7 छात्रावास की हालत जर्जर है . छात्रवास अधीक्षक मोहन मरकाम ने बताया कि छात्रावास पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. हर साल विभाग को इसकी शिकायत करते हुए रिपोर्ट सौंपी जा रही है. इसके बावजूद आजतक मरम्मत के लिए राशि नहीं आई है. आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त मेनका चंद्रकार ने कहा कि जर्जर हॉस्टल भवनों के मरम्मत के लिए प्रस्ताव भेजा गया है कुछ राशि आयी है जिसके लिए टेंडर निकाला गया है.

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