बेमेतरा : नवागढ़ क्षेत्र के अंतर्गत मुड़पार गांव में स्टील उद्योग लगाये जाने के संबंध में जिला प्रशासन ने जनसुनवाई कार्यक्रम का आयोजन किया.जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. उद्योग लगाने के संबंध में अपने अपने पक्ष को ग्रामीणों ने रखा. इस दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री दयाल दास बघेल जिला पंचायत के सदस्य अंजय बघेल भी मौजूद थे.
ग्रामीणों ने किया विरोध :नवागढ़ क्षेत्र में किसी भी प्रकार के उद्योग लगाए जाने के संबंध में ग्रामीण विरोध में नजर आए. ग्रामीणों ने कहा कि ''गांव में पेयजल का संकट है. आसपास के गांव से 1 किलोमीटर दूर से पीने की पानी की व्यवस्था करना पड़ता है. ऐसे में क्षेत्र में उद्योग लगाना नाइंसाफी होगी. जब पीने के पानी की असुविधा है तो उद्योग का संचालन कैसे सम्भव होगा.''
बीजेपी ने भी किया विरोध :स्टील उद्योग लगाने के संबंध में बीजेपी शुरू से ही विरोध कर रही है. प्रशासन के सामने विरोध दर्ज कराने पूर्व कैबिनेट मंत्री दयाल दास बघेल जिला पंचायत सदस्य अंजय बघेल, जिला भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष देवादास चतुर्वेदी मौजूद थे. इस संबंध में जिला भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के जिला उपाध्यक्ष देवादास चतुर्वेदी ने कहां कि ''क्षेत्र में पानी की किल्लत है. वहां उद्योग लगाना नहीं चाहिए. यदि उद्योग लगता है तो हजारों फिट खुदाई से पहले पानी सम्भव नहीं है.ग्रामीणों को पीने का पानी नहीं मिल पायेगा.'' उन्होंने शासन की मंशा पर सवाल उठाए है वही प्रोजेक्ट और जनसुवाई को फर्जी बताया है.
Bemetara News नवागढ़ के मुड़पार में उद्योग का विरोध, जनसुनवाई में ग्रामीणों ने जताई नाराजगी
नवागढ़ मुड़पार क्षेत्र में स्टील फैक्ट्री लगाने को लेकर प्रशासन ने जनसुनवाई का आयोजन किया था.लेकिन इस जनसुनवाई में ग्रामीणों ने आपत्ति जाहिर की है. ग्रामीणों की मानें तो क्षेत्र में पानी का संकट है.ऐसे में उद्योग लगने से पानी कहां से आएगा.इसलिए स्टील फैक्ट्री ना ही लगे तो सही रहेगा.
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पुलिस ने संभाली सुरक्षा व्यवस्था :जिले के एडिशनल एसपी पंकज पटेल ने कहा कि '' जनसुनवाई के मद्देनजर प्रशासन ने बल की व्यवस्था की है. 150 से अधिक जवान मौके पर हैं. वहीं 3 डीएसपी भी मौजूद हैं.उन्होंने कहा कि जनसुनवाई शांति रूप से चल रही है.'' आपको बता दें कि बिना ग्रामीणों की रजामंदी के उद्योग के लिए जमीन नहीं दी जा सकती.जिस क्षेत्र में उद्योग को लेकर बात चल रही है वहां आज तक पीने के पानी का समाधान नहीं हो पाया है. ऐसे में उद्योग लगने पर पानी कहां से आएगा इसका जवाब कोई नहीं दे रहा है.