बेमेतरा:कृषि उपज मंडी में 65 लाख की लागत से किसान उपभोक्ता बाजार का निर्माण पूरा हुए 2 साल बीत चुके हैं जिसके बावजूद अभी तक बाजार शुरू करने को लेकर प्रशासनिक स्तर पर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. नतीजतन क्षेत्र के किसानों को उनकी सब्जियों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है. आलम यह है कि लागत भी नहीं निकल पा रही है. प्रशासन के इस रवैया से किसानों में खासी नाराजगी है.
भवन निर्माण के 2 वर्ष बाद भी किसानों को उपभोक्ता बाजार का नही मिल पा रहा लाभ 65 लाख की लागत से बना भवन शो-पीस
जिला मुख्यालय के कृषि उपज मंडी परिसर में 65 लाख की लागत से 2 साल पहले उपभोक्ता बाजार का निर्माण कराया गया. जिसमें एक दफ्तर बनाया गया. इसमें अलग-अलग काउंटर बनाए गए है. जिसका उद्देश्य यह था कि क्षेत्र के किसान अपने उत्पादनों को सीधा उपभोक्ता बाजार में लाकर बेच सकेंदे. जिससे बाजार से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो सकेगी और उत्पादकों को उनकी उत्पादन का उचित लाभ मिल सकेगा. लेकिन जिम्मेदारों के ढीले रवैए के कारण 2 साल बाद भी 65 लाख की लागत से बनाया गया यह भवन केवल शो पीस बनकर रह गया है. जिसका क्षेत्र के किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है.
उपभोक्ता बाजार का किसानों को नहीं मिल पा रहा लाभ
बेमेतरा जिले में टमाटर का रकबा करीब 27 हेक्टेयर है जो साजा क्षेत्र में सर्वाधिक है. ठंड के सीजन में टमाटर के बंपर उत्पादन के साथ किसानों की मुसीबतें बढ़ने लगती है. क्योंकि इस सीजन में मंडियों में टमाटर की आवक बढ़ने से दाम में काफी गिरावट देखने को मिलती है. नतीजतन किसानों के लिए फसल का लागत मूल्य निकालना मुश्किल हो जाता है. वर्तमान में थोक मंडियों में टमाटर 80 से 100 प्रति कैरेट बिक रहा है. इससे भी किसानों को 10 फीसदी कमीशन बिचौलियों को देना पड़ता है. जिसके कारण किसानों को समुचित लाभ नहीं मिल पाता है.
'किसान नहीं दिखा रहे रूचि'
इस संबंध में क्षेत्र के सब्जी उत्पादक किसान बाबा साहू ने कहा कि उपभोक्ता बाजार संबंधी अभी तक किसी भी प्रकार का कोई भी पहल नहीं किया गया है. ना ही किसानों को इसकी सूचना दी गई है. वहां तो सिर्फ ताला लगा हुआ है. कृषि उपज मंडी के विपणन अधिकारी आर मरावी ने कहा कि 80 किसानों से संपर्क कर चुके हैं. उद्यानिकी विभाग के द्वारा भी पहल की गई है. लेकिन अभी तक किसान उपभोक्ता बाजार को लेकर रुचि नहीं दिखा रहे हैं जिस कारण यह शुरू नहीं हो पाया है.