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बेमेतरा में मानसून के आगमन के साथ ही धान परिवहन शुरू, कीचड़ से हो रही आवागमन में परेशानी

बेमेतरा जिले में अब भी 2 लाख 60 हजार क्विंटल धान का खरीदी केंद्रों(paddy procurement centers) से परिवहन नहीं हो पाया है. अब महीनों बाद बारिश शुरू होने के बाद समितियों से धान का उठाव किया जा रहा है. लेकिन खरीदी केंद्रों में जलभराव और कीचड़ से धान परिवहन(mud paddy transportation) में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जिसके चलते धान के उठाव (paddy picking) में काफी दिक्कतें आ रही है.

lifting of paddy in the mud after rain
बारिश के बाद कीचड़ में धान का उठाव

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Published : Jun 20, 2021, 1:14 PM IST

बेमेतरा: जिले में धान खरीदी(Paddy purchased) खत्म होने के महीनों बाद तक सेवा सहकारी समितियों से धान का परिवहन(Service Transportation of paddy from cooperatives) नहीं हो पाया है. बीच-बीच मे हुई बारिश से हजारों क्विंटल धान बर्बाद हो गया है. अब मानसून के आने के साथ(Monsoon arrival in Bemetara) ही एक बार फिर धान का परिवहन शुरू हो गया है. जिसमें केंद्रों में बारिश का पानी जमाव होने से धान के परिवहन (Paddy Transport) में परेशानी हो रही है.

किचड़ के बीच धान ट्रक में भरकर ले जाते हुए

बेमेतरा जिले के नवागढ़ ब्लॉक (Nawagarh Block) के अंतर्गत सेवा सहकारी समिति झाल (Service Cooperative Society Jhal) से सामने आया है जहां धान परिवहन करते वक्त ट्रैक्टर का उपयोग करके धान केंद्रों से बाहर निकालकर सड़क पर खड़े ट्रक में भरा जा रहा है. इस दौरान लगातार बारिश से काफी कीचड़ हो गया है. जहां से ट्रकों को निकालने में काफी परेशानी हो रही है.

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नवागढ़ ब्लॉक में सर्वाधिक धान उपार्जन केंद्रों में डंप
जिले में सर्वाधिक अव्यवस्था नवागढ़ ब्लॉक में है. जहां पूर्व कैबिनेट मंत्री(former cabinet minister) का गांव कुंरा झाल, नवागढ़, रनबोड, अंधियारखोर, आदि सेवा सहकारी समितियों में 20 हजार क्विंटल से अधिक के धान का उठाव होना बाकी है. धान की नीलामी हुए 2 महीन बीत जाने के बाद भी संबंधित बोलीदार की तरफ से धान का उठाव नहीं किया गया. अब बारिश शुरू होते ही धान का परिवहन शुरू कर दिया गया है. जिसमें बरिश के साथ कीचड़ और लेबर की समस्या सामने आ रही है.

धान को ट्रक में ले जाते हुए

रनबोड में 30 हजार क्विंटल धान का उठाव बाकी, सड़क बदहाल

जिले के नवागढ़ ब्लॉक के अंतर्गत आने वाले रनबोड गांव में भी लगभग यहीं हालत है. 30 हजार 43 क्विंटल धान का परिवहन नहीं हो पाया है. हालात ये है कि बारिश की वजह से अब गांव तक पहुंच पाना मुश्किल हो गया है. क्योंकि गांव की कच्ची सड़क से होकर उपार्जन केंद्र जाना होता है जो अभी बारिश के चलते मुश्किल है. समय रहते धान का उठाव नहीं किया गया है और बारिश की वजह से यहां भी धान का उठाव जिम्मेदारों के लिए मुसीबत खड़ी कर रहा है.

72 घंटे में परिवहन का दावा झूठा साबित

धान खरीदी के 72 घंटे के भीतर परिवहन पूरा करने का दावा करने वाली सरकार 6 महीने बाद भी उपार्जन केंद्रों में खुले में डंप किये गए धान का उठाव नहीं कर पाई है. आलम यह हुआ कि प्रदेश सरकार ने हाथ खड़े करते हुए नीलामी का फार्मूला अपनाया लेकिन इसका भी कोई असर नहीं हो पाया. नतीजा यह हुआ कि अभी भी हजारों क्विंटल धान खरीदी केंद्रों में खुले में पड़ा हुआ है. जिसका उठाव होना अभी भी बाकी है. बारिश के शुरू होते ही एक बार फिर जिले के सेवा सहकारी समितियों में रखे धान का परिवहन शुरू किया गया है. जिसमें कीचड़ बाधा बना हुआ है.

कीचड़ में धान का उठाव

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जिले में 2 लाख 60 हजार क्विंटल धान उपार्जन केंद्रों में डंप
बेमेतरा जिले में कुल 2 लाख 60 हजार क्विंटल धान 102 समितियों के 113 उपार्जन केंद्रों में पड़ा हुआ है, जिसका उठाव होना अभी बाकी है. जिले में शुरुवात से ही परिवहन व्यवस्था चरमराई हुई थी. लगातार मीडिया में परिवहन नहीं होने की बात सामने आने के बाद खरीदी के महीनों बाद तत्कालीन कलेक्टर शिव अनंत तायल(Collector Shiv Anant Tayal) ने परिवहनकर्ताओं की बैठक लेकर धान के उठाव के निर्देंश दिए है. लेकिन लगातार केंद्र और राज्य सरकार के बीच बिगड़ते तालमेल के चलते जिले में हजारों क्विंटल धान बेमौसम ही खराब हो गया है. जिसकी जिम्मेदारी लेने के लिए कोई तैयार नही है.

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