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बेमेतरा में मटके में जल लेकर देवालयों में पहुंचे श्रद्धालु - Akti Tihar in Bemetara

बेमेतरा में अक्षय तृतीया पर मटकी से जल अपर्ण करने की परंपरा पूरी हुई. इस दिन मटके में जल भरकर देवालयों में अपर्ण किया जाता है.

Devotees arrived at the temples with water in a pot in Bemetara
वृक्ष में जल किया अर्पित

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Published : May 14, 2021, 1:18 PM IST

Updated : May 14, 2021, 1:42 PM IST

बेमेतरा:छत्तीसगढ़ कृषि प्रधान राज्य है. यहां मनाने वाला हर त्योहार किसी न किसी तरह कृषि से जुड़ा हुआ है. आज पूरे देश में अक्षय तृतीया मनाई जा रही है. छत्तीसगढ़ में इस त्योहार को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में इसे 'अक्ति तिहार' कहते हैं. गुड्डे-गुड़ियों की शादी के साथ ही इस दिन मटकी में पानी भरकर देवालयों में अर्पित करने की परंपरा है. आज से ही खेतों में जुताई का काम शुरू किया जाता है.

देवालयों में पहुंचे श्रद्धालु

अक्ति के दिन सुबह मिट्टी के घड़े में पानी भरकर मंदिर और वृक्षों में चढ़ाया जाता है. ग्रामीण इलाकों में यह परंपरा आज भी बरकरार है. जल चढ़ाने के बाद उस मटके में पानी भरकर रखा जाता है. मटके में पानी के साथ चावल के दाने और दाल होते हैं, जिसे मिट्टी के बने चुकिया से 7 बार अर्पण किया जाता है. परंपरा के मुताबिक आज से ही मटके को उपयोग में लाया जाता है. बेमेतरा जिले में सुबह से महिलाएं और बच्चे पानी भरकर देवालयों में पूजा करने पहुंचे थे.

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शादी के लिए शुभ मुहुर्त

अक्षय तृतीया को शादी के लिए सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है. इस दिन छत्तीसगढ़ में गुड्डे-गुड़ियों की शादी कराने की परंपरा है. घर में पूरे रीति-रिवाज के साथ शादी कराई जाती है. अक्ति के दिन सोना-चांदी खरीदना और दान करना शुभ माना जाता है. बैसाख महीने की शुक्ल पक्ष के तृतीया तिथि को मनाए जाने वाले इस त्योहार के दिन को स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है. इस वजह से इसका विशेष महत्व है.

Last Updated : May 14, 2021, 1:42 PM IST

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