बेमेतरा: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पक्षी महोत्सव का समापन करेंगे. 31 जनवरी को इस महोत्सव की शुरुआत हुई थी. नवागढ़ गिधवा-परसदा गांव में ये महोत्सव आयोजित किया गया. गिधवा में 150 प्रकार के पक्षियों का अनूठा संसार है. इसमें जलीय और थलीय दोनों ही प्रकार के पक्षी शामिल हैं. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अब हर साल दिसंबर के आखिरी में पक्षी महोत्सव का आयोजन किया जाएगा.
मुख्य वन संरक्षक संगीता गुप्ता ने बताया कि यहां पिछले 25 वर्षों से विदेशी मेहमान आ रहे हैं. यूरोप और अफ्रीका महाद्वीप से हजारों मील समुद्र पार कर यह मेहमान यहां पहुंचते हैं. इनको यहां संरक्षण मिलता है और पर्याप्त मात्रा में भोजन मिलता है. यही कारण है कि यहां पक्षी अपने प्रजनन काल के लिए पहुंचते हैं. मुख्य वन संरक्षक अधिकारी और बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी ने बताया कि सामान्यतः बारिश के बाद अक्टूबर और फरवरी के बीच गिधवा-परसदा जलाशय मे पक्षी अपना डेरा डालते हैं. यहां का परिवेश देसी- विदेशी पक्षियों को भाता है. इन जलाशयों मे पक्षियों के लिए अच्छा भोजन मिलता है.
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यहां जुटते हैं प्रवासी पक्षी
डीएफओ धम्मशील गणवीर के मुताबिक प्रवासी पक्षियों की भी अनेक किस्म यहां आती है. गिधवा-परसदा के बड़े सरोवरों में भी यह प्रवासी पक्षी जुटते हैं. इस धरोहर को सहेजने, इसके बारे में ज्ञान को साझा करने तक के लिए बर्ड फेस्टिवल का आयोजन किया गया. तीन दिनों तक चलने वाले इस बर्ड फेस्टिवल में देशभर से आए पक्षी वैज्ञानिकों ने अपने अनुभव साझा किए. कार्यक्रम में शिरकत करने पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कनार्टक के पक्षी विज्ञानी और बर्ड वॉचर पहुंचे.