बेमेतरा:Bemetara kavita working in kartvyapathछतीसगढ के बेमेतरा की बेटी ने दिल्ली के कर्तव्य पथ के निर्माण में अहम भूमिका अदा की है. इस बेटी का नाम कविता है. जो प्रदेश की इकलौती सिविल इंजीनियर है. जिसे कर्तव्यपथ और सेंट्रल विस्टा वैन्यू रिडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला है. उन्होंने अपनी प्रतिभा का बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए इस प्रोजेक्ट में अपनी सेवाएं दी हैं.
कविता बेमेतरा के नांदघाट की रहने वाली: कविता बेमेतरा के नांदघाट इलाके के पुटपुरा गांव की रहने वाली है. वह सिविल इंजीनियर है. वह बेमेतरा की पहली सिविल इंजीनियर है जिसने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है.Central Vista Project
पीएम मोदी ने दी शाबाशी: दिल्ली के कर्तव्य पथ के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाली कविता को पीएम मोदी ने शाबाशी दी है. सेंट्रल विस्टा वैन्यू रिडेवलेपमेंट प्रोजेक्ट में कविता एक मात्र महिला है जो काम कर रहीं हैं. या कहें तो वह एकमात्र लड़की हैं जिसने इस कर्तव्य पथ में काम किया. कविता ने सैकड़ों मजदूरों और मिस्त्री के साथ कर्तव्य पथ पर लगाए गए ग्रेनाइट को फिनिशिंग दी है.pm modi Praise civil engineer kavita for work in kartavyapath
कविता ने गरीबी में की पढ़ाई: कविता ने गरीबी में पढ़ाई की है. वह स्कूलिंग के दौरान मनरेगा में भी काम कर चुकी हैं. उन्होंने मजदूरी से पैसे जुटाए उसके बाद पढ़ाई की. अपनी मेहनत से वह सिविल इंजीनियर बनीं. कविता पुटपुरा गांव के स्कूल में 10वीं तक पढ़ीं और सभी कक्षाओं में प्रथम आती रहीं. कविता ने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई भाटापारा में की. इस दौरान जेईई मेंस और पीईटी की तैयारी की. जेईई में रैंक नहीं आया, लेकिन पीईटी में बेहतरीन रैंक मिला. सपना सिर्फ इंजीनियर बनना था. इसलिए उसने सिविल इंजीनियर बनने का सपना भिलाई के रूंगटा आर 1 इंजीनियरिंग कॉलेज से पूरा किया.
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प्रधानमंत्री ने की कविता से बातचीत: कविता पुटपुरा गांव की पहली इंजीनियर है. वह भी दिल्ली में केंद्र सरकार की एक बहुमुखी योजना में अपना योगदान दे रही हैं. पिछले दिनों प्रोजेक्ट से जुड़े सभी अधिकारियों और कर्मचारियों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुलाकात की. सबसे कम हाइट की होने की वजह से उनकी नजर सबसे पहले कविता पर पड़ी. उन्होंने उनसे प्रोजेक्ट के प्रोग्रेस के संबंध में जानकारी ली. उनके बताए प्रोग्रेस पर उन्होंने संतुष्टि जाहिर की. कविता को कर्तव्य पथ को नया स्वरूप देने के लिए शाबाशी दी.