बेमेतरा:छत्तीसगढ़ में इस साल मानसून समय से पहुंच तो गया, लेकिन बेमेतरा के किसान कहते हैं जब पानी की जरूरत नहीं थी तो बारिश ने फसल खराब कर दिए और अब जब जरूरत है, तो जमीन बंजर हो रही है. पानी की कमी से धान के पैदावार प्रभावित हो रहे हैं. बेमेतरा में धान के खेतों की हालात खराब है. बारिश नहीं होने की वजह से यहां जमीन पर दरारें पड़ गई हैं. इसके साथ ही धान की फसलों को पानी नहीं मिलने से पत्तियों में पिलापन आ गया है और ब्लास्ट पनप रहा है.
सावन का महीना किसानों के लिए खेती-किसानी का महीना होता है. उन्हें इंद्रदेव से उम्मीद होती है कि बारिश अच्छी होगी और फसल लहलहाएगी. लेकिन इस बार बारिश नहीं होने से किसान निराश हैं. सावन महीने में घुटने तक पानी भरे होने के बजाय खेत में बूंदभर भी पानी नहीं है. इस वजह से धान की रोपाई बियासी का काम पिछड़ गया. वहीं जिले में औसत से कम बारिश हुई है.
पानी होकर भी नहीं मिल रहा पानी
किसानों की परेशिनियों की फेहरिस्त यहीं खत्म नहीं होती. वे बताते हैं कि पानी सप्लाई के लिए पंप भी कैसे चलाएंगे, जब 24 घंटे में सिर्फ 4 घंटे के लिए ही बिजली मिले. किसानों ने निराश होकर बताया कि बिजली कंपनी अटल ज्योति कनेक्शन की शुरुआत नहीं कर रही है. जिससे पानी रहकर भी खेतों तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है, धान सुख रहे हैं और फसल बर्बाद होने की कगार पर है.
बीते 15 दिनों से नहीं बरसे बादल
प्रदेश सरकार धान की फसल में बोनस बीमा दे रही है. जिसके मद्देनजर जिले में धान का रकबा बढ़ गया है. वहीं सोयाबीन की खेती से किसानों का मोहभंग होता नजर आ रहा है. किसानों का कहना है कि इस बार धान की फसल से उन्हें मुनाफा नहीं होने वाला है. अच्छी फसल नहीं होने से लागत राशि भी निकालने में मुश्किल होगी.
बिजली कटौती ने बढाई किसानों की परेशानी
मानसून के शुरुआती दिनों में हुई अच्छी बारिश से किसान खुश थे. अच्छी फसल की उम्मीद के साथ वे खेती के काम में जी-जान से जुट गए, लेकिन अब जिले के किसानों की फसल बूंद-बूंद पानी के लिए भी तरस रही है. इधर क्षेत्र में लगातार हो रही बिजली कटौती ने भी किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. जिससे किसान पंप के माध्यम से भी पानी की पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं. अन्नदाता अपने फसलों को यूंही छोड़ भी नहीं सकते, वे रोज खेत में बैठकर बारिश का इंतजार करते हैं.