बेमेतरा: जिले में बुनाई का काम करने वाले बुनकर बदहाली और तंगहाली में जिंदगी के दिन काटने को मजबूर हैं. जहां एक ओर इन्हें मिलने वाला मेहंताने में पिछले सात साल के कोई इजाफा नहीं किया है, वहीं ये एक जर्जर भवन में काम करने को मजबूर हैं. भवन की हालत इतनी खस्ताहाल है कि, वो कभी भी गिर सकता है.
रेशम को बेशकीमती कपड़ों में तब्दील करने का हुनर रखन वाले ये उस्ताद आज भी पुराने परंपरागत उपकरणों के सहारे कपड़ों की बुनाई करने मजबूर हैं, जिसके बदले में इन्हें हर रोज 100 से 120 रुपये की दर से मेहनताना नसीब होता है.
भवन में नहीं है पंखे की व्यवस्था
जिले की देवरबीजा और बीजाभाट में समितियों की ओर से पिछले 40 साल से कपड़ा बुनाई का काम किया जा रहा है. देवरबीजा समिति के बुनकर कारखाने में जहां एक पंखा तक मौजूद नहीं है, वहीं बीजाभाट में जर्जर दीवारों और छतों के बीच कारीगर काम करने मजबूर हैं. यहां भवन की मरम्मत के साथ आधुनिक मशीनों की है, जिससे बुनकर सहज और सरल तरीके से बुनाई का कार्य कर सकें.
नहीं बढ़ाई गई मजदूरी
जिले के श्री राम बुनकर समिति बीजाभाट को 30 वर्ष पहले 1 एकड़ भूखंड सरकार की ओर से मिला था, जिसमें 40 फीसदी स्थान में भवन निर्माण हुआ था, जो वक्त के साथ कमजोर होता गया और अब जर्जर हो चुका है. कारीगर अर्जुन देवांगन, बैसौहा देवांगन, सावित्री बाई और पार्वती देवांगन ने बताया मजदूरी की दर नहीं बढ़ाई गई है और हम पुरानी मजदूरी पर ही काम कर रहे हैं, महंगाई के इस समय में परिवार चलाना मुश्किल हो गया है.