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बेमेतरा में 2 लाख 60 हजार क्विंटल धान उपार्जन केंद्रों में डंप - Paddy purchased in Bemetara

बेमेतरा में मानसून (Monsoon in Bemetara) आने में कुछ दिन बचे हैं. इधर प्री-मानसून की बारिश भी शुरू हो गई है. वहीं जिले में खरीदी होने के चार महीने बाद भी उपार्जन केंद्रों में धान (Paddy purchased in Chhattisgarh) अभी भी खुले आसमान के नीच डंप पड़े हुए हैं. बेमेतरा में 2 लाख 60 हजार क्विंटल धान (paddy dump in procurement centers in bemetara) उपार्जन केंद्रों में डंप है. वहीं धीमी परिवहन से बारिश से नुकसान की आशंका बढ़ गई है. ऐसे में अगर तेज बारिश होती है तो जिले में सैकड़ों क्विंटल धान खराब होंगे.

2 lakh 60 thousand quintal paddy Dump
बेमेतरा में 2 लाख क्विंटल से ज्यादा धान डंप

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Published : Jun 11, 2021, 7:34 PM IST

बेमेतरा: जिले में धान खरीदी पूर्ण होने के महीनों बाद भी अब तक उपार्जन केंद्रों में धान डंप पड़े हुए हैं. धान का उठाव शासन की ओर से नहीं किया जा रहा है. उपार्जन केंद्रों में अब भी लाखों क्विंटल धान डंप पड़े हुए हैं. जो बेमौसम बारिश की भेंट चढ़ रहे हैं. बेमेतरा में प्री मानसून का दौर शुरू हो गया है.तीन दिनों से लगातार बारिश जारी है. वहीं जिले में अब भी 2 लाख 60 हजार क्विंटल धान समितियों में डंप पड़े हुए हैं. जिसका उठाव नहीं हो पाया है. वहीं धान का यदि जल्द उठाव नहीं हुआ तो धान का बर्बाद होना तय है.

बेमेतरा में 2 लाख क्विंटल से ज्यादा धान डंप

15 लाख 56 हजार क्विंटल धान की हुई थी खरीदी

बता दें कि बेमेतरा जिला में 15 लाख 56 हजार क्विंटल धान की नीलामी की गई थी. जिसमें से 2 लाख 60 हजार क्विंटल का उठाव अब भी बाकी है. वहीं जिले में मानसून दस्तक देने वाली है. ऐसे में जल्द धान का उठाव नहीं हुआ तो धान की बरबादी होगी. वहीं मामले को लेकर बेमेतरा खाद्य अधिकारी राजेश जायसवाल (Bemetara Food Officer Rajesh Jaiswal) ने कहा कि जब धान की नीलामी हुई तब बारिश नहीं हुई थी. वहीं अब बारिश हुई है तो खराब धान की छंटनी की जा रही है.

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नीलामी के आदेश के बाद भी नहीं हुआ उठाव
धान का उठाव नहीं होते देख प्रदेश सरकार ने धान की नीलामी का निर्णय लिया था. हालांकि इसके बाद भी मानसून से पहले धान का उठाव नहीं हो पाया है. वहीं बीच-बीच में हुई बारिश से बहुत धान बर्बाद हुए हैं. जिससे समिति और ठेकेदारों के बीच विवाद की स्थिति भी बन रही है. जहां ठेकेदार पूरा धान खरीदी की बात से मुकरकर धान की छंटनी करके लिया है. वहीं समितियों को शार्टेज की चिंता सता रही है. जिसकी भरपाई समिति को करनी पड़ेगी.

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