कसडोल/बलौदाबाजार:जिले के कसडोल विकासखंड के करमेल शासकीय प्राथमिक शाला में पदस्थ सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू बिना स्कूल आए और बिना बच्चों को पढ़ाए पिछले तीन साल से वेतन ले रहा है. धनेश्वर साहू सप्ताह में एक या फिर दो दिन ही स्कूल पहुंचता है और पूरे हफ्ते का हस्ताक्षर कर वापस घर चले जाता है.
बिना स्कूल आए भी वेतन ले रहा है ये शिक्षक करमेल प्राथमिक स्कूल में अभी प्रधानपाठक नहीं है, लेकिन इस स्कूल के प्रधानपाठक का पूरा कार्यभार सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू पर है. पिछले तीन साल से धनेश्वर लकवा से पीड़ित है और अपनी बीमारी की वजह से वह नियमित स्कूल नहीं आता. इसकी जानकारी उसने अपने उच्च अधिकारियों को भी नहीं दी है.
धनेश्वर साहू ने अपनी व्यवस्था बनाई है और अपने स्थान पर बच्चों को पढ़ाने के लिए प्यारीभोई नाम के एक स्थानीय युवक को नौकरी पर रखा है, जिसे 4500 रुपए सैलरी भी देता है.
तीन साल से कोई और पढ़ा रहा
सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू की जगह पढ़ाने वाले युवक प्यारीभोई ने बताया कि, 'मैं पिछले तीन साल से यहां पढ़ा रहा हूं. सहायक शिक्षक धनेश्वर साहू जो कि प्रधानपाठक के कार्यभार में हैं. वह हफ्तें में एक-दो बार आते हैं. विकलांगता से पीड़ित हैं इसलिए उन्होंने अपनी जगह मुझे रखा है.'
जिम्मेदारों को नहीं है जानकारी
इस मामले में विकासखंड शिक्षा अधिकारी केके गुप्ता का कहना है कि उन्हें इस बारे में अब तक और इससे पहले कोई जानकारी नहीं मिली थी. ETV भारत से उन्हें ये जानकारी मिल रही है. उन्होंने कहा कि अभी इस पर जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी.
मामले में दिलचस्प बात यह है कि इस स्कूल में इस तरह की व्यवस्था संचालित होते तीन सालों से भी ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं और अधिकारी इस मामले की जानकारी होने से इंकार कर रहे हैं जबकि स्कूल में शिक्षकों की सतत मॉनिटरिंग के लिए संकुल समन्वय होते हैं, जो संकुल स्तर की जानकारी विकासखंड शिक्षा अधिकारी को देते हैं. ऐसे में इस शिक्षक के ऊपर शिक्षा विभाग की मेहरबानी समझ से परे है.
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स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति दर्ज करने और शिक्षकों का सही समय पर स्कूल आने और जाने के लिए ही सभी स्कूलों में बॉयोमैट्रिक मशीनें भेजी गई थी, जिसमें शिक्षकों की उपस्थिति फिंगर प्रिंट की मदद से दर्ज होनी थी, लेकिन ये सभी बॉयोमैट्रिक मशीनें स्कूलों की मात्र शोभा बढ़ाने का काम रही हैं.