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Balodabazar: हाईकोर्ट ने पलारी तहसीलदार के ट्रांसफर पर लगाई रोक, अवैध रेत परिवहन का मामला

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने पलारी तहसीलदार के ट्रांसफर ऑर्डर पर रोक लगाया है. पिछले दिनों पलारी तहसीलदार ने अवैध रेत परिवहन कर रहे वाहन के खिलाफ कार्रवाई की थी. जिसके करीब 2 घंटे के भीतर ही पलारी तहसीलदार का ट्रांसफर कर दिया गया था. जिसके बाद पलारी तहसीलदार दफ्तर के नाराज कर्मचारियों ने विरोध प्रदर्शन किया था. ट्रांसफर आदेश वापस लेने की मांग की थी. Palari Tehsildar transfer case

High Court put stay on Palari Tehsildar transfer
हाईकोर्ट ने ट्रांसफर पर लगाई रोक

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Published : Apr 14, 2023, 11:22 PM IST

बलौदाबाजार-भाटापारा: जिले में रॉयल्टी चोरी का काम धड़ल्ले से चल रहा है. पलारी तहसीलदार का ट्रांसफर का मामला गरमाया हुआ है. जिसके चलते कांग्रेस सरकार, जिला प्रशासन और कसडोल विधायक सुर्खियों में हैं. हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. केस की सुनवाई के बाद अदालत ने तबादला आदेश पर अंतरिम राहत प्रदान करते हुए अगली सुनवाई तक स्टे लगाया है. मामले की अगली सुनवाई 21 अप्रैल को रखी गई है. इस दौरान राज्य शासन की ओर से डिप्टी एजी संदीप दुबे ने शासन का पक्ष रखा.

क्या है पूरा मामला:पलारी तहसीलदार नीलमणि दुबे की टीम ने 29 मार्च को एक ट्रक को अवैध रेत परिवहन करने के आरोप में पकड़ा था. कार्रवाई से नाराज विधायक शकुंतला साहू पलारी तहसील दफ्तर पहुंची. उन्होंने पलारी तहसीलदार को 24 घंटे के भीतर ट्रांसफर करवाने की धमकी दी थी. इसके करीब दो घंटे बाद ही राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग मंत्रालय से सिंगल आदेश निकाल कर तहसीलदार नीलमणि दुबे का ट्रांसफर कर दिया गया . उनका तबादला मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय, रायपुर में कर दिया गया था.

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पलारी तहसीलदार को मिला स्टे ऑर्डर: याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने यह तर्क प्रस्तुत किया कि, जिस कर्मचारी को प्रतिनियुक्ति पर अन्य विभाग में भेजा जाता है, उसकी सहमति ली जाती है. इस मामले में ऐसा नहीं किया गया. साथ ही मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी कार्यालय द्वारा भी कर्मचारियों की आवश्यकता होने पर मांग पत्र भेजा जाता है. कर्मचारियों की मांग डेप्यूटेशन पर की जाती है. इस नियम को भी दरकिनार किया गया. राजस्व विभाग द्वारा भी अपने तहसीलदार को दूसरे विभाग में प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाने हेतु सहमति दी जानी थी. इन सारे नियमों को परे रखते हुए जनप्रतिनिधि के दबाव में आकर तहसीलदार का तबादला किया गया.

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