बलौदाबाजार:जिले के कसडोल में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही एक बार फिर सामने आई है. उल्टी-दस्त से पीड़ित मरीज की मौत होने के बाद उसे कोरोना पॉजिटिव मरीज घोषित कर दिया गया. कोरोना मरीज बताकर मृतक के शव को पैक कर भेजा गया. इसके अलावा बिना पीपीई किट के स्वास्थ्यकर्मियों ने उसके शव को परिजनों को सौंपा.
इस पूरे मामले में मृतक के परिजनों ने कसडोल अस्पताल प्रबंधन पर मृतक का इलाज नहीं करने का आरोप लगाया है. परिजनों ने कसडोल एसडीएम और कसडोल थाना प्रभारी को लिखित में शिकायत दर्ज करते हुए दोषी डॉक्टर और नर्सों के खिलाफ केस दर्ज करने की मांग की है.
मृतक के परिजनों ने की इंसाफ की मांग कसडोल BMO ने कहा- 'युवक नहीं था कोरोना पॉजिटिव'
आरोप है कि युवक की मौत के बाद अस्पताल प्रबंधन ने अपनी लापरवाही छिपाने के लिए युवक को कोरोना पॉजिटिव बता दिया और उसे दफना दिया गया. जबकि इस मामले में कसडोल के BMO डॉक्टर सीएस पैकरा का कहना है कि युवक को कोरोना नहीं था और युवक के माता-पिता को कोरोना था. अब ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर युवक की मौत कोरोना से नहीं हुई, तो फिर युवक को कोरोना पीड़ित बताकर बिना पोस्टमार्टम किए उसके शव को क्यों दफना दिया गया. नियम के मुताबिक अस्पताल में किसी व्यक्ति की मौत के बाद उसका पोस्टमार्टम कराया जाता है.
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जानकारी के मुताबिक 15 सितंबर की रात 11:30 बजे मृतक कन्हैया मानिकपुरी को उल्टी-दस्त होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जहां पूरी रात मृतक के परिजन अस्पताल में मौजूद स्टाफ नर्सों से डॉक्टर को बुलाने के लिए मिन्नतें करते रहे. लेकिन नर्सों ने डॉक्टरों को नहीं बुलाया और युवक का इलाज करते रहे. युवक की तबीयत ज्यादा बिगड़ता देख दूसरे अस्पताल में ले जाने की बात कही गई. 16 सितंबर को दोपहर 12:30 बजे युवक की मौत हो गई.
परिजनों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि मृतक के शव को बाहर निकालकर उसका पोस्टमार्टम किया जाए और इस मामले में दोषियों पर कार्रवाई की जाए.