छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

राम वन गमन पथ में शामिल तुरतुरिया में अव्यवस्थाओं का अंबार, सड़कों की हालत खराब

बलौदाबाजार के कसडोल तहसील स्थित तुरतुरिया को राम वन गमन पथ में शामिल किया गया है. लेकिन आज भी यहां अव्यवस्थाओं का अंबार लगा हुआ है. जिसपर शासन-प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है.

By

Published : Dec 23, 2020, 2:34 AM IST

Disorders in Turturiya
सड़कों की हालत खराब

बलौदाबाजार: राम वन गमन पथ में शामिल स्थलों के विकास के लिए राज्य सरकार की ओर से पहले चरण में कसडोल तहसील के तुरतुरिया को शामिल किया गया है. जनश्रुति के मुताबिक तुरतुरिया स्थित वाल्मीकि आश्रम में भगवान श्रीराम के पुत्र लव और कुश का जन्मस्थली है. लेकिन आज भी तुरतुरिया अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है.

तुरतुरिया में अव्यवस्थाओं का अंबार

राज्य सरकार ने तुरतुरिया को राम वनगमन पथ के लिए शामिल तो कर लिया, लेकिन अभी तक कोई भी बुनियादी सुविधाएं यहां के लोगों को नहीं मिल सकी है. आज भी बड़े-बड़े चट्टानों से भरे रास्ते को पार कर तुरतुरिया जाने को श्रध्दालु मजबूर हैं. सिर्फ भाषणों और पुस्तिकाओं में ही तुरतुरिया के विकास की बात की जा रही है. यहां के दुकानदारों का कहना है कि कोई भी जनप्रतिनिधि या प्रशासन का कोई व्यक्ति इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

पढ़ें:कैसा है भगवान राम का ननिहाल, माता कौशल्या के जन्म को लेकर क्या कहते हैं चंदखुरी के लोग ?

नहीं है साफ-सफाई की व्यवस्था

तुरतुरिया में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं. लेकिन शासन-प्रशासन की ओर से यहां किसी भी तरह की कोई व्यवस्था नहीं की गई है. यहां तक की यहां की सफाई व्यवस्था भी चरमराई हुई है. गाड़ियों के पार्किंग की सुविधा भीं यहां नहीं है, न ही श्रद्धालुओं के बैठने के लिए कुर्सी की व्यवस्था की गई है. कहने मात्र के लिए सिर्फ पानी की सुविधा यहां है. स्थानीय लोगों के लिए बिजली और सड़क की सुविधा अभी भी दूर नजर आ रही है.

बलि प्रथा बंद करने की कोशिशें विफल

तुरतुरिया में वाल्मीकि आश्रम पर माता का मंदिर है. जिसे तुरतुरिया मातागढ़ कहा जाता है. इस मंदिर की मान्यता है कि मनोकामना पूर्ति के लिए यहां बकरे की बलि दी जाती है. मुख्य रूप से संतान प्राप्ति के लिए यहां हर साल सैकड़ो बलियां दी जाती है. जिसको बंद कराने के लिए लोगों ने काफी प्रयास किए. लेकिन सारे प्रयास विफल रहे. वाल्मीकि आश्रम के पुजारी बालकदास का कहना है कि दशकों से यहां बकरे की बलि दी जा रही है. जिसके कारण यह प्रवित्र धाम प्रदूषित हो रहा है. इसे बंद करना अतिआवश्यक है. मंदिर की ओर से हमने कई बार इस प्रथा को बंद कराने का प्रयास किया है लेकिन सिर्फ निराशा ही मिली है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details