बलौदाबाजार: प्रशासन लगातार प्रदेश के आदिवासी बच्चों के उत्थान के लिए योजनाएं चलाता है. लेकिन जमीनीस्तर पर इसका बिलकुल ही उल्टा उदाहरण देखने को मिल रहा है. बिलाईगढ़ का शासकीय प्रीमैट्रिक अनुसूचित जनजाति भवन दिन-ब-दिन मेंटेंनेंस के अभाव में जर्जर हो रहा है. जिससे यहां रहने वाले आदिवासी छात्रों पर हादसे का खतरा मंडरा रहा है.
अनुसूचित जनजाति भवन की छत पूरी तरह से जर्जर हो चुकी है. बरसात के दिनों में छत से पानी टपकता है. छत का प्लास्टर इतना कमजोर हो चुका है कि कभी भी गिर सकता है. इससे छात्रों में डर का माहौल बना हुआ है. दूर से आए छात्रों के रहने का एक मात्र सहारा होने के कारण छात्र ऐसे महौल में रहकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
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