बलौदाबाजार : कोरोना संकट में 'मनरेगा' मजदूरों एवं किसानों के लिये रोजगार का एक बड़ा जरिया बनकर उभरा है. महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के माध्यम से लॉकडाउन की विषम परिस्थितियों के बाद भी ग्रामीणों को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराने में सफलता मिली है. इसमें न केवल ज़िले के पंजीकृत मजदूर हैं, बल्कि अन्य राज्यों से आये प्रवासी मजदूरों की भी पंजीयन कर उनकी बेरोजगारी की चिंता दूर की गई है.
जिला पंचायत से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में 6 विकासखण्डों में 2 लाख 41 हज़ार 430 परिवार मनरेगा में पंजीकृत है. इसमें कुल श्रमिकों की संख्या 6 लाख 41 हज़ार 80 है. इसमें सक्रिय जॉब कॉर्ड की संख्या 4 लाख 97 हज़ार 312 है. इनमे से 1 लाख 71 हज़ार 569 परिवारों के 3 लाख 80 हज़ार 621 श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराये गए हैं. मनरेगा के तहत कुल 92 करोड़ 6 लाख 23 हज़ार रुपये का भुगतान हुआ है. इतनी बड़ी राशि इस विपदा के समय मे मजदूरों एवं किसानों के लिये आय का एक प्रमुख जरिया बना हुआ है. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी एक नई ऊर्जा मिली हैं. मनरेगा के तहत 57 लाख 63 हज़ार मानव दिवस का सृजन किया गया है.
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'नया जॉब कार्ड बनाया गया'
जब देश भर में लॉकडाउन के पहले चरण की शुरुआत हुई तो राज्य सरकार के दिशा निर्देश पर इन सभी लौटे प्रवासी मजदूरों में से काम करने के प्रति इच्छुक मजदूरों का नया जॉब कार्ड बनाया गया. इस दौरान मार्च से लेकर मई तक 3 हज़ार 670 परिवार के 7 हज़ार 320 श्रमिकों का नया पंजीयन किया गया है. ऐसे प्रवासी श्रमिक जो पहले से पंजीकृत थे पर वह काम में नहीं आते थे. ऐसे परिवारों की संख्या 8 हज़ार 320 है. इसमें मजदूरों की संख्या 36 हज़ार 840 हैं. यह सभी मनरेगा के कार्य में आने लगे.
सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन
मजदूर चंद्रशेखर साहू ने बताया कि, 'जैसे ही लॉकडाउन की घोषणा हुई तो हम सब रोजगार को लेकर काफ़ी चिंतित थे. यह सोचने लगे की अब घर का खर्च कैसे चलेगा. मनरेगा के माध्यम से कुल 132 दिन का रोजगार मिला, जिससे कुल 17 हज़ार 646 रुपये राशि का भुगतान सीधा पोस्ट ऑफिस के खाते से प्राप्त हुआ, जो हमारे लिये एक बड़ी राहत है. काम के दौरान मास्क एवं सोशल डिस्टेंसिंग का भी पालन नियमानुसार करते थे'.
70 हजार से ज्यादा मजदूरों ने काम किया
मनरेगा सहायक अधिकारी केके साहू ने बताया कि, 'मार्च अंतिम से लेकर मई माह तक प्रतिदिन ज़िले में औसतन 1 लाख 40 से लेकर 1लाख 50 हज़ार श्रमिक प्रतिदिवस कार्य करते रहते थे. जो जिले के लिये बड़ी उपलब्धि है. इस जिले में मजदूरों की संख्या पहले कभी भी 70 हज़ार से अधिक पार नहीं हुई थी.