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बालोद: वर्मी कम्पोस्ट बना लाखों कमा रहीं हैं स्व-सहायता समूह की महिलाएं

बालोद में वर्मी कम्पोस्ट (Vermi compost) स्व-सहायता समूह की महिलाओं के लिए आय का जरिया बन गया है. गोधन न्याय योजना के तहत किसानों से खरीदे गए गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा है.

Women of self-help groups producing vermi compost balod
वर्मी खाद का निर्माण

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Published : Oct 19, 2020, 6:54 PM IST

बालोद:छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत बनाये गए गौठान से अब सकारात्मक परिणाम सामने आने लगे हैं. जिले के गौठानों से अब आमदनी आनी शुरू हो गई है. गौठानों की देख-रेख और गोबर खरीदने वाली स्व-सहायता समूह की महिलाएं अब वर्मी कम्पोस्ट बना अच्छी कमाई करने लगी हैं. यह वर्मी कम्पोस्ट किसानों की आर्थिक सेहत के साथ खेतों की सेहत के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो रहा है. यहां प्रशासन की देख-रेख में जिले में करीब 100 से ज्यादा स्व-सहायता समूह के लोग वर्मी कम्पोस्ट (वर्मी खाद) बना रहे हैं. यह वर्मी कम्पोस्ट गोधन न्याय योजना के तहत किसानों से खरीदे गए गोबर से बनाया जा रहा है. वर्मी कम्पोस्ट किसानों से लिए गोबर से बनाकर किसानों को ही बेचा जा रहा है, जिससे स्व-सहायता समूह की महिलाओं को अच्छी आमदनी हो रही है.

गोबर बना 'सोना'

बालोद जनपद क्षेत्र के तहत 24 गौठान शामिल है. सभी गौठानों के माध्यम से गोबर की खरीदी की जा रही है. इसके साथ किसानों को समय पर इसका भुगतान भी किया जा रहा है. किसानों से लिए गए गोबर से खाद बनाने का ठेका स्व-सहायता समूहों को दिया गया है. वर्मी कम्पोस्ट से जितना भी लाभ हो रहा है, उसका 25% हिस्सा गौठान समूह को और 75% हिस्सा स्व-सहायता समूह को मिल रहा है. साथ ही जिस वर्ग के माध्यम से इस खाद का निर्माण किया जाता है, उसे स्व-सहायता समूहों से खरीदने का प्रावधान रखा गया है.


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जनपद पंचायत बालोद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने बताया कि महिलाएं खाद निर्माण को लेकर काफी मेहनत कर रही हैं. इसका सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहा है. उन्होंने बताया कि प्रत्येक गौठानों से वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री अच्छे से हो रही है. इसे किसानों को अनुदान पर दिया जाता है. इसके साथ ही व्यापारिक दृष्टिकोण से भी इसे ₹10 प्रति किलो के हिसाब से बेचा जा रहा है. इस योजना के माध्यम से स्व-सहायता समूह की महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं.

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