बालोदः छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 30 राजाराव पठार में आज से विराट वीर मेले की शुरूआत (Veer Mela started) हुई है. प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उईके (Governor Anusuiya Uikey)के हाथों वीर मेले की शुरूआत की गई. राज्यपाल ने राजाराव पठार पहुंचकर राजराव बाबा की पूजा-अर्चना की. इसके बाद राज्यपाल ने शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा (Tribute to statue of martyr Veer Narayan Singh)को श्रद्धांजलि अर्पित की. साथ ही उन्होंने बुढ़ादेव बाबा, मां कंकालीन सहित झामा माता की पूजा अर्चना की.
बालोद के आदिवासी समाज (Balod Tribal Society) द्वारा राज्यपाल के मायके में देव निमंत्रण भेजा गया था. आयोजन में बालोद, धमतरी, बस्तर संभाग, सरगुजा सहित प्रदेश के कोने-कोने से आदिवासी समाज के लोग पहुंचे हुए हैं. समाज ने राज्यपाल के सामने बात रखी कि यहां नक्सलवाद की काफी समस्या है. आखिर भारत सरकार पीड़ित लोगों से बात क्यों नहीं करती? शिक्षा-स्वास्थ्य की व्यवस्था यदि पूरी की जाय तो देश में नक्सलवाद खत्म हो जाएगा. इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि समाज के लिए मन में दर्द है. पंचायतों को निकाय बनाया जा रहा है मैंने मुख्यमंत्री से चर्चा की है. अन्यथा मैं अपने अधिकारों का उपयोग करूंगी. आज हमारे भोलेपन का फायदा उठाकर देवी-देवता हमारी संकृति को नुकसान पहुंचा रहे हैं. उनके लिए भी समाज सजग रहे.
आदिवासी समाज का स्वतंत्रता संग्राम में रहा योगदान
राज्यपाल उईके ने कहा कि मैं इसी समाज की बेटी हूं आप सब के आशीर्वाद से यहां पहुंची हुई हूं उन्होंने कहा कि यहां जो भी कार्य किए जाते हैं वे काफी सराहनीय हैं इस मंच से समाज को एकजुट कर नई पीढ़ी को शहीद वीर नारायण सिंह जी की प्रेरणा दे रहे हैं. वे ऐसे क्रांतिकारी नेता थे, जिन्होंने समाज की दिशा और दशा को बदल दिया है. पूरे देश में आज अमृत महोत्सव के माध्यम से शहीदों को याद किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि जब 1950 में संविधान बना था, तब इस बात का ध्यान रखा गया था कि आदिवासी समाज एक ऐसा तबका है जो जल जंगल जमीन से जुड़ा रहता है और इनके विकास के लिए क्या किया जाए कि समाज का सर्वांगीण विकास हो सके.
राज्यपाल ने सरकारों को लिया आड़े हांथ
राज्यपाल ने कहा कि कानून तो बनाए गए पर वो नियम नहीं बनाए गए, जिससे कानूनों का पालन हो सके. 25 साल कानून बनने के बाद नियम नहीं बनाए गए ये दुर्भाग्य की बात है. आज ग्राम सभा को इतने अधिकार दिए गए हैं, पर उनका उपयोग कहां हो रहा है? बरसों बाद भी आज अन्याय हो रहा है. 5वीं अनुसूची के बाद भी ग्राम पंचायतों को नगर पंचायत नगर पालिका नगर निगम बना दिया गया. पहले 50 फीसद आरक्षण रहता था, लेकिन आज इन जगहों पर नगर पालिका का कानून बना दिया गया. जल्द ही पेसा कानून लाने का जोर हम दे रहे हैं.
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बस्तर के लोग नहीं चाहते निकाय