बालोद:बालोद जिले के डौंडीलोहारा विकासखंड में एक छोटा सा गांव बाघमार है, जो कि पूरे देश में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कंगला मांझी और उनके सरकार के कारण विख्यात है. जिसके संस्थापक हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी थे. उनकी पुण्यतिथि पर हर साल कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. इस साल केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मांझी सरकार के बीच पहुंचे. फग्गन सिंह कुलस्ते ने कंगला मांझी को नमन किया. Tribute to martyrdom of Manjhi
राजमाता फुलवा देवी कांगे ने कहा कि "मांझी का नाम जो दिया गया है उसे समाज और जनता चुनती है." मांझी सरकार का मुख्यालय नई दिल्ली में है. बालोद जिले की गांव बाघमार में पूरे देश भर के मांझी के अनुनायी पहुंचे हुए हैं और इनकी एक अपनी संस्कृति है, अपनी एक विचारधारा है, जो कि देशभक्ति से ओतप्रोत है.
मांझी की सेना और उसके अनुशासन की चर्चा जोरों पर:केंद्रीय ग्रामीण विकास एवं इस्पात राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि "जो भी देश सेवा या राष्ट्र सेवा में अपना जीवन समर्पित कर दिया, उनके परिवार को मैं बधाई देता हूं. जिन्होंने कंगला माझी के सम्मान में जीवन कुर्बान किए, वो काबिले तारीफ है. उन्होंने कहा कि "मांझी ने आदिवासी समाज और जल, जंगल, जमीन के लिए लड़ाई लड़ी. अपनी एक अलग सेना बनाई और उनका अनुशासन देखते ही बन रहा है."
मूल संस्कृति की दिखी झलक:केंद्रीय इस्पात एवं ग्रामीण विकास राज्यमंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते आयोजन में शामिल हुए. उन्होंने मांझी और उनकी संस्कृति की तारीफ करते हुए कहा कि "दरअसल आदिवासियों की जो मूल संस्कृति है, देवी देवता है, उनकी झलक आज देखने को मिली है. इनकी जो सेना है, उसमें अनुशासन एवं देश भक्ति कूट-कूट कर भरी हुई है. निस्वार्थ भाव से स्वयं मेहनत करके शिक्षा की ओर समाज को अग्रसर कर रहे हैं. मांझी की सेना निस्वार्थ रूप से काम कर रही हैं. यहां पर छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु देश भर के आदिवासी जुट रहे हैं और मांझी के विचारों को आगे बढ़ा रहे हैं."
यह भी पढ़ें:बालोद के एक गांव ने की शराबबंदी, बेचने या खरीदने पर लगेगा जुर्माना