बालोद:सर्व आदिवासी समाज के लोगों ने 22 सूत्रीय मांगों को लेकर झलमला तिराहे के पास नाकेबंदी प्रदर्शन को अंजाम दिया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वाहनों को रोकने का प्रयास किया. सर्व आदिवासी समाज द्वारा केंद्र एवं राज्य सरकार के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की गई.
कुलगांव-चरामा से आदिवासियों ने की प्रदेश स्तरीय आर्थिक नाकेबंदी की शुरुआत, एनएच-रेलमार्ग पर भी प्रदर्शन
वादा भूली भूपेश सरकार
सर्व आदिवासी समाज के वरिष्ठ नागरिक गजानंद प्रभाकर ने बताया कि, हमारी 22 सूत्री मांगें हैं. जिसे हमने राजा राव पठार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने रखा था. लेकिन भूपेश बघेल के सरकार इन वादों को भूलती जा रही है. आदिवासी समाज की उपेक्षा करती जा रही है. जिससे हम सब आदिवासी समाज के लोग नाराज हैं. हम विगत डेढ़ माह से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठे हुए थे. प्रशासन ने किसी तरह की कोई सुध नहीं ली. 20 दिनों में हमारी समस्याओं के निराकरण का वादा किया था. आज तक किसी तरह का कोई ठोस निर्णय सरकार द्वारा नहीं लिया गया. जिसके कारण हमें आज आर्थिक नाकेबंदी करनी पड़ रही है.
सिलगेर के हत्यारों को मिले सजा
सर्व आदिवासी समाज की आर्थिक नाकेबंदी में सिलगेर का मुद्दा भी छाया रहा. प्रदर्शनकारी इसके गुनहगारों को सजा देने की मांग कर रहे हैं. साथ ही परिजनों को 50,00,000 लाख रुपए और घायलों को 50,00,00 रुपए एवं मृत परिवार के एक सदस्य को योग्यता अनुसार शासकीय नौकरी देने की मांग की है.
आदिवासी समाज की ये है मांगें
- सर्व आदिवासी समाज ने आदिवासियों के उत्पीड़न का आरोप लगाया है
- महिला एवं बच्चों पर अत्याचार.
- हत्या जाति का अपमान पर तत्काल कार्रवाई.
- छात्रवृत्ति योजना में आदिवासियों के लिए फंड मुहैया कराई जाए
- पांचवी अनुसूची को लागू किया जाए
- सरकारी नौकरी में आदिवासियों को आरक्षण मिले