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Traditional Gedi in C Mart For hareli: हाईटेक हुए छत्तीसगढ़ के त्योहार, हरेली तिहार के लिए सी मार्ट में मिल रही गेड़ी, लोगों में उत्साह

Traditional Gedi in C Mart छत्तीसगढ़ के पहले तिहार हरेली पर पूरे प्रदेश में गेड़ी खेलने की परंपरा है. बांस से बना गेड़ी गांवों में तो आसानी से मिल जाता है लेकिन शहर में कई बार चाहते हुए भी गेड़ी नहीं खेल पाते. इसी समस्या को दूर करते हुए प्रदेश के सभी जिलों के सी मार्ट में गेड़ी रखी गई है. तो आप भी बिना देर करे अपने नजदीकी सी मार्ट पहुंचिए और गेड़ी खरीदकर पारंपरिक हरेली तिहार का स्वागत कीजिए. hareli tihar in chhattisgarh

Gedi in C Mart
सी मार्ट में गेड़ी

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Published : Jul 16, 2023, 8:06 AM IST

Updated : Jul 16, 2023, 12:25 PM IST

हरेली तिहार पर सी मार्ट में गेड़ी

बालोद:छत्तीसगढ़ी संस्कृति के पहले हरेली तिहार को ज्यादा आनंदमय बनाने के लिए सी मार्ट में गेड़ी रखी गई है. बाकी जिलों के साथ बालोद शहर के सी मार्ट में भी पारंपरिक गेड़ी बिकने लगी है. हरेली तिहार पर गेड़ी चढ़ने के शौकीन सी मार्ट से गेड़ी खरीदकर छत्तीसगढ़ का पहला तिहार पारंपरिक तरीके से मना सकते हैं. सी मार्ट में गेड़ी 120 रुपये से 160 रुपये में प्रति जोड़ी मिल रही है.

पहली बार शहर के बाजार में आई गेड़ी:गांवों में घर घर में गेड़ी आसानी से बना ली जाती है. लेकिन शहर में गेड़ी मिलना मुश्किल होता है. इसी परेशानी को दूर करने के लिए जिला प्रशासन ने वन विभाग की तरफ से सी मार्ट में गेड़ी पहुंचाई है. गेड़ी को लेकर आम लोगों के साथ ही सी मार्ट के कर्मचारियों में भी उत्साह है. कर्मचारियों का कहना है कि पहली बार सी मार्ट में गेड़ी देखकर काफी खुशी हो रही है.

हमारे कका भूपेश बघेल ने सी मार्ट में वन विभाग की तरफ से गेड़ी भेजा है. जो सिर्फ 120 से 150 रुपये में अच्छे कलर और मजबूत गेड़ी बेचा जा रहा है. नो प्रॉफिट नो लॉस के साथ गेड़ी आम लोगों के लिए रखी गई हैं. विवेकानंद दिल्लीवार, सी मार्ट

हरेली तिहार पर गेड़ी चढ़ने की परंपरा: हरेली तिहार के साथ गेड़ी चढ़ने की परंपरा अभिन्न रूप से जुड़ी हुई है. त्योहार के दिन ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग सभी परिवारों द्वारा गेड़ी का निर्माण किया जाता है. परिवार के बच्चे और युवा गेड़ी का जमकर आनंद लेते हैं. गेड़ी चढ़कर ग्रामीण और किसान वर्षा ऋतु का स्वागत करते हैं. बारिश के दौरान गांवों में हर तरफ कीचड़ होती है. इस दौरान गेड़ी चढ़कर बच्चे कहीं भी आसानी से आ जा सकते हैं.

सी मार्ट में गेड़ी

बांस से बनाई जाती है गेड़ियां:गेड़ियां बांस से बनाई जाती है. दो बांस में बराबर दूरी पर कील लगाई जाती है. बांस के टुकड़ों को बीच से फाड़कर उसे दो भागों में बांटा जाता है. उसे रस्सी से फिर से जोड़कर दो पउवा बनाया जाता है. यह पउवा पैरदान होता है, जिसे लंबाई में पहले काटे गए दो बांसों में लगाई गई कीलों के ऊपर बांध दिया जाता है. गेड़ी पर चलते समय रच-रच की ध्वनि निकलती है, जो वातावरण को और आनंददायक बना देती है.

छत्तीसगढ़ की संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम भूपेश सरकार कर रही है. सी मार्ट में गेड़ी मिलने से आम जनता को हरेली तिहार के लिए गेड़ी के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. योगराज भारती, पार्षद


मुख्यमंत्री ने की तारीफ:बालोद जिला प्रशासन की इस पहल की छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी जमकर तारीफ की. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत ही अच्छी पहल है और इसके लिए जिला प्रशासन की तरफ से पूरी मेहनत की जा रही है. महिला स्वास्थ्य समूहों के साथ-साथ बसोर परिवार बांस से बनी चीजों का निर्माण कर अपना जीवन यापन करते हैं. यह अपने आप में अनोखी शुरुआत है.

महिला समूह की बहनें और बसोर जाति के लोगों ने गेड़ी बनाई है. बहुत अच्छी पहल है. 17 जुलाई से हरेली पर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का शुभारंभ भी हो रहा है. हरेली भी खेलकूद का त्योहार है. -भूपेश बघेल, मुख्यमंत्री, छत्तीसगढ़


क्या है हरेली तिहार: छत्तीसगढ़ में हरेली तिहार पूरे जोश और उमंग के साथ मनाया जाता है. छत्तीसगढ़ में लोक तिहारों की शुरुआत इस महापर्व से होती है. हरेली के दिन सुबह उठकर कृषक और दूसरे लोग खेती किसानी के उपयोग में लाए जाने वाले सभी उपकरणों की पूजा करते हैं. सभी सामानों को सुबह साफ पानी से धोया जाता है फिर तुलसी चौरा के पास रखकर सभी उपकरणों और हल बैल की पूजा की जाती है. इस दिन पूरा गांव गेड़ी चढ़ता है. घर की महिलाएं अलग अलग तरह के छत्तीसगढ़ी व्यंजन ठेठरी, खुरमी बनाती हैं.

हरेली तिहार

इस साल कब मनाई जा रही हरेली:17 जुलाई को हरेली तिहार है. सावन माह के कृष्ण पक्ष में सोमवार को हरेली मनाई जाएगी. इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, व्याघात योग, मिथुन और कर्क के चंद्रमा में हरेली अमावस्या पड़ रही है. यह तिहार दर्श अमावस्या, शुक्ल अमावस्या, देवपुत्र अमावस्या के तौर पर भी जाना जाता है. यह छत्तीसगढ़ का पहला त्योहार है. पूरे छत्तीसगढ़ में इसे हरेली तिहार के नाम से जाना जाता है. ये पर्व हरियाली का प्रतीक है.

क्या है छत्तीसगढ़ियां ओलंपिक:छत्तीसगढ़ के पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने के लिए साल 2022 में छत्तीसगढ़ सरकार ने छत्तीसगढ़िया ओलंपिक की शुरुआत की. इनमें खो खो, रस्साकसी, फुगड़ी, बांटी, कंची, बिल्लस, गेड़ी दौड़, भंवरा, पिट्ठुल, 100 मीटर दौड़, लंबी कूद जैसे 14 खेलों को शामिल किया गया. पिछले साल 26 लाख लोगों ने छत्तीसगढ़िया ओलंपिक में हिस्सा लिया.

Last Updated : Jul 16, 2023, 12:25 PM IST

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