बालोद :दिव्यांग कमलेश निषादजिले के ग्राम सिवनी के निवासी हैं. जो किसी के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहते. चार महिलाओं के साथ एक अकेला दिव्यांग कमलेश अपने परिवार का लालन पालन कर रहा है. खेल में भी उनकी विशेष रूचि है. दिव्यांग कमलेश ने हाल ही में बालोद जिले का नाम रोशन करते हुए छत्तीसगढ़ पैरा ओलिंपिक में गोल्ड मेडल हासिल किया है. जिसमें लंबी कूद 100 मीटर दौड़ और गोला फेंक शामिल हैं.कलेक्टर ने उनकी जीत पर बधाई देते हुए उनके हौंसलों को सलाम किया.
लंबी कूद में गंवाया हाथ :खेल का इतना जुनून है कमलेश निषाद ने हमेशा खेल को अपने जीवन का हिस्सा बनकर रखा. हालांकि इसी खेल प्रेम ने उनका एक हाथ छीन लिया. यह घटना है वर्ष 2001 की जहां पर लंबी कूद के खेल के दौरान उन्हें एक हादसे का शिकार होना पड़ा. उन्होंने अपना एक हाथ गंवा दिया कमलेश ने बताया कि लम्बी कूद खेल के दौरान उनका बैलेंस बिगड़ गया. उनका हाथ चकनाचूर हो गया और जहर फैलने के कारण कमलेश को हाथ गंवाना पड़ा.
हाथ कटने पर भी जज्बा नहीं छोड़ा : कमलेश की यात्रा हाथ कटने के बाद भी नहीं रुकी. दिव्यांग खेल में कमलेश पाकिस्तान के साथ क्रिकेट मैच में दो दो हाथ किए. भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए जीत भी दिलाई पैरा ओलिंपिक में बैंगलोर में नेशनल गेम्स में लंबी कूद 20 मीटर दौड़ और गोला फेंक में भी पदक हासिल कर जिले का नाम रोशन किए.
दिव्यांग कमलेश निषाद ने बताया कि '' एक हाथ ना होने के कारण उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है. उनके बड़े भाई की मृत्यु हो गई है. उनके घर में बड़े भाई के परिवार के साथ कुल 4 महिलाएं हैं. 4 महिलाएं केवल कमलेश के कंधे पर आश्रित हैं. अपने परिवार को कभी भी दुखी होने नहीं देते और हर काम बखूबी करते हैं.''