बालोद: छत्तीसगढ़ की संस्कृति को संजोए रखने के लिए सांस्कृतिक जागृति यात्रा बालोद पहुंची. समाजसेविका शांता शर्मा ने अलग-अलग स्कूलों का दौरा किया और वहां के बच्चों से रूबरू हुई. साथ ही उन्होंने इस दौरान बच्चों को प्रदेश के पारंपरिक गहनों के बारे में जानकारी दी.
प्रदर्शनी लगाकर बच्चों को दी जानकारी
शांता अपने साथ छत्तीसगढ़ी आभूषणों की प्रदर्शनी भी लेकर चल रहीं हैं. उन्होंने स्कूली बच्चों को आभूषणों के नाम बताए साथ ही इन आभूषणों के पहनने से होने वाले फायदे के बारे में भी बताया. उन्होंने बताया कि इन आभूषणों का वैज्ञानिक महत्व भी है.
छत्तासगढ़ की संस्कृति को संजोने शांता शर्मा ने उठाया बीड़ा छत्तीसगढ़ की संस्कृति बताने निकलीं हैं शांता
शांता जी ने वहां मौजूद छात्र-छात्राओं और शिक्षिकाओं को गहनों के महत्व के बारे पूछा कि क्या आप इन गहनों का नाम बता सकते हैं. तीन-चार छात्राएं खड़ी तो हुई लेकिन वे सभी गहनों का नाम नहीं बता पाए. इस पर समाजसेविका ने कहा कि यही बातें मैं बताने निकली हूं कि हमारी संस्कृति कहीं खोते जा रही है. आज यहां लोगों को पंजाबी कुर्ती, गुजराती कपड़े, गुजराती गहने, अंग्रेजी कपड़े, अंग्रेजी गहने, सभी पता रहते हैं. लेकिन ये विडंबना है कि छत्तीसगढ़ के लोगों को ही यहां के गहनों और खान-पान के बारे में नहीं पता है.
इन गहनों का वैज्ञानिक महत्व भी: शर्मा
आज कमर की समस्या, हाथों में जकड़न जैसी कई सारी चीजें होती है लेकिन हम देखते हैं कि पहले की महिलाएं काफी लंबी उम्र में भी मेहनत वाले काम करती थीं. यही सब आभूषण उनके फिट रहने और मेहनत करने का राज थे. लेकिन आज महिलाओं में जल्दी कमजोरी सहित और भी बीमारियां घर कर जाती है.
देसी खाना खाएं लोग: शांता
उन्होंने कहा कि अंग्रेजी खानपान, फास्ट फूड खाने से भी कई तरह की शारीरिक समस्याएं हो रही हैं. ऐसे खाने को ना अपना कर शुद्ध देसी, छत्तीसगढ़ी भोजन लोगों को करना चाहिए.