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SPECIAL : प्लास्टिक का उपयोग कम हो इसीलिए इस महिला ने खोल दिया 'बर्तन बैंक' - बालोद में बर्तन बैंक

प्रदेश को डिस्पोजल फ्री बनाने बालोद की श्रद्धा साहू ने एक मुहिम छेड़ी और खुद का एक छोटा सा बर्तन बैंक बना लिया. सुनने में ये थोड़ा अजीब जरूर लगेगा, लेकिन इससे समाज को एक नई दिशा मिल रही है और जिले को डिस्पोजल फ्री बनाने में एक अनूठा सहयोग मिल रहा है.

प्रदेश को डिस्पोजल फ्री बनाने की अनोखी पहल

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Published : Oct 1, 2019, 7:30 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 11:59 PM IST

बालोद:प्लास्टिक मुक्त भारत का सपना सरकार ने आज देखा है, लेकिन जिले की श्रद्धा इसे कई सालों से देखते आ रही हैं. जब वो किसी आयोजन में प्लास्टिक के पत्तल और पानी के डिस्पोजल ग्लास देखती हैं, तो उन्हें दुख होता है कि इनके इस्तेमाल से पर्यावरण तो प्रदूषित हो ही रहा है, इसके साथ ही मवेशियों को भी इसे खा लेने की वजह से परेशानी हो रही है.

पैकेज.

प्रदेश को डिस्पोजल फ्री बनाने बालोद की श्रद्धा साहू ने एक मुहिम छेड़ी और खुद का एक छोटा सा बर्तन बैंक बना लिया. सुनने में ये थोड़ा अजीब जरूर लगेगा, लेकिन इससे समाज को एक नई दिशा मिल रही है और जिले को डिस्पोजल फ्री बनाने में एक अनूठा सहयोग मिल रहा है.

मुफ्त में देती हैं स्टील के बर्तन
शादी हो या अन्य कोई मांगलिक कार्यक्रम श्रद्धा वहां जरूरत के हिसाब से मुफ्त में स्टील की थाली, ग्लास और चम्मच की सुविधा देती हैं. आयोजनकर्ता इसे खुद बुकिंग करा खुद आकर ले जाते हैं.

मील का पत्थर साबित हो रही श्रद्धा की पहल
श्रद्धा की यह खूबसूरत सोच युवाओं को भी प्रेरित कर रही है और यह पहल मील का पत्थर साबित हो रही है. प्लास्टिक की वजह से मिट्टी और पर्यावरण इंसान के स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाता है. जिसे श्रद्धा साहू ने समझा और शुरू कर दिया अपना बर्तन बैंक.

  • श्रद्धा कहती हैं कि, 'अपनी मिट्टी और समाज की रक्षा के लिए ये उनकी एक छोटी सी पहल थी. मैंने अपनी कॉलोनी से इसकी शुरुआत की थी, लेकिन मैंने देखा कि इसकी जरूरत तो आज पूरे प्रदेश को है.'
  • उन्होंने कहा कि, 'मैनें ससुराल और मायके दोनों जगह से इसकी शुरुआत की है. लोग आयोजनों में बर्तन लेकर जाते हैं और इसके उपयोग की सलाह सब को देते हैं.'
  • श्रद्धा का कहना है कि, 'छोटे-छोटे आयोजन में ही डिस्पोजल वस्तुओं का सबसे ज्यादा प्रयोग होता है. टेंट हाउस के खर्चे से बचने के लिए लोग डिस्पोजल सामग्रियों का उपयोग करते हैं.'
  • उनका कहना है कि 'रुपयों का सदुपयोग करें और कम खर्च में बर्तनों को साफ करा दें'. वे मुफ्त में लोगों को बर्तन बांटती हैं पर उनका उद्देश्य हैं कि लोग उनकी बातें समझे और खुद से ये सब अपनाए.

मेहनत की रकम जोड़कर शुरु की ये पहल
श्रद्धा साहू ने यह काम खुद की मेहनत से थोड़े-थोड़े रुपये बचाकर स्टील के बर्तन खरीदे हैं. अब वे इस बात से बेहद खुश हैं कि सरकार भी सिंगल यूज़ प्लास्टिक करने की तरफ कदम बढ़ा रही है. उनकी इस मुहिम के साथ आम लोगों को भी जुड़कर समाज को प्लास्टिक मुक्त बनाने आगे आने की जरुरत है.

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बर्तनों का उपयोग करने वाले आयोजनकर्ता भी हैं खुश

  • श्रद्धा साहू के इस पहल की जानकारी जैसे-जैसे लोगों को मिल रही है लोग संपर्क कर रहे हैं. श्रद्धा साहू की मदद से स्टील के बर्तन उपयोग करने वाले बच्चन तांडी बेहद खुश नजर आ रहे हैं. उनका कहना है कि, 'वे रिटायर हुए तो उन्होंने सब को प्रीति भोज कराने की सोची और पूजा भी कराया. श्रद्धा जी के साथ जुड़कर हमने आयोजन में स्टील की इनकी थालियां उपयोग की और आए हुए मेहमानों को भी इस पहल से जुड़ने को कहा.'
  • जहां एक ओर रोजमर्रा के काम के लिए प्लास्टिक का प्रयोग बढ़ गया है. ऐसे में इसके दुष्प्रभाव के प्रति लोगों को जागरूक करने और उन्हें प्लास्टिक से दूर रखने के लिए श्रद्धा ने जो काम किया है वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है.
Last Updated : Oct 1, 2019, 11:59 PM IST

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