बालोदः जिले के साथ-साथ पूरे देश में पिछले डेढ़ साल से कोरोना संकट छाया हुआ है. बढ़ते संक्रमण के बीच सैलून व्यवसाय संकट में आ गया है. कोरोना महामारी के कारण अन्य प्रतिष्ठानों के साथ सैलून दुकान के संचालन में भी पाबंदी लगाई गई है. इसे लेकर सैलून संचालकों ने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.
समाज के लोगों ने बताया कि फिर एक बार सरकार ने लाकडाउन घोषित कर सैलून व्यवसाय को संकट में डाल दिया है. रोजगार छिन जाने से सेन समाज की परेशानियां बढ़ गई है. समाज के लोग बैंक और निजी तौर पर कर्ज उठाकर अपनी दुकान संचालन कर रहे थे. इस व्यवसाय के भरोसे उनके परिवार का गुजर बसर चलता था, लेकिन कोरोना काल में पिछले एक साल से काम न होने के कारण वे दुकान का किराया भी नहीं चुका पा रहे हैं. ऐसे में बैंक का कर्ज भरना भी मुश्किल हो गया है.
सेन नाई समाज का टूट रहा सब्र का बांध
सैलून व्यवसाय भले ही आवश्यक श्रेणी में नहीं आता है. परंतु परिवार का पेट पालने के लिए काम तो करना होगा. पिछले एक वर्ष से स्थिति गंभीर बनी हुई है. अब समाज के लोगों को अपना परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. महामारी के इस दौर में बदहाली से गुजर रहे सेन समाज के लोग आर्थिक पैकेज की मांग कर रहे हैं. सेन समाज के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष कौशिक ने बताया कि अब परेशानियां कफी बढ़ गई है. सेन समाज के सब्र का बांध टूट गया है. 20 मई तक सरकार नाई परिवार को आर्थिक पैकेज प्रदान करे, नहीं तो वे आंदोलन करने को विवस हो जाएंगे. सैलून खोलने की अनुमति प्रदान दे नहीं तो सेन समाज के लोग सड़क पर उतर कर धरना-प्रदर्शन और भूख हड़ताल करेंगे.