कवर्धा :पंडरिया ब्लॉक कुंडा गौठान मैदान में गड़वा बाजा और मुरली की तान पर राउत नाचा दल जमकर थिरके. राउत नाचा महोत्सव ( Raut Nacha Festival ) में जिले के कई क्षेत्रों के साथ ही मुंगेली, लोरमी,बेमेतरा जिलों से भी नर्तक दल सुबह से गांव पहुंचने लगे थे. इस महोत्सव में कई जिले भर से यदुवंशी शामिल हुए. दलों के कलाकारों ने रंग-बिरंगे कपड़ों पर कौड़ियां जड़ी जैकेट और अलग-अलग तरह की चमकदार रंगीन टोपियां पहनी थी. जो काफी आकर्षक लग रही थीं. शाम होते ही दल सज-धजकर आयोजन स्थल पहुंचे. Raut Nacha Festival organized in pandaria
किन टोलियों ने दी प्रस्तुति :फुलवारी के दल ने सबसे पहले परफॉर्मेंस दी. इसके बाद परसदा के दल की प्रस्तुति हुई. वहीं इस बीच बच्चों के दल ने प्रस्तुति दी. इस टीम ने बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया. दलों ने लाठी चलाने के साथ कलम चलाने का भी संदेश दिया. बच्चों के लिए शिक्षा को बेहद जरुरी बताया. इसके बाद स्कूल परिसर में बने स्वागत द्वार से ये दल एक-एक कर भीतर प्रवेश करते गए और तुलसी, कबीर, सूरदास और निदा फाजली के दोहों के साथ ही लोकगीतों पर कला का प्रदर्शन किए. 18 से अधिक दलों के कलाकारों ने सामाजिक संदेश और कृष्ण भक्ति के दोहों के साथ राउत नाच का प्रदर्शन किया.
कितना मिलता है ईनाम : बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का संदेश के साथ राउत नाच महोत्सव में हर बार अलग तरह के दोहे सामने आते हैं. जिसमें नृत्य भी प्रदर्शित किए जाते हैं.जिसमें प्रथम पुरस्कार 15000 हजार , द्वितीय 12000 हजार ,तृतीय 11000 रुपए चतुर्थ,7000 हजार, पञ्चम 5000 हजार और छटवे 3000 रखा गया. जिसमें विजेता दलों के लिए 50 अंक की 5 शर्त रखी गई.ईनाम के साथ शील्ड और सभी टोलियों के लिए ईनाम रखे गए थे.
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गौठानों ने बदली चरवाहों की स्थिति :पिछड़ा वर्ग आयोग सदस्य चंद्रवंशी कहा कि कुंडा में राउत नाचा उत्सव की शुरूआत छोेटे से बाजार के रूप में हुई थी. भगवान कृष्ण के समय से ही गौ-पालन प्रचलित है. गौ का महत्व धार्मिक पुराणों में भी मिलता है. लेकिन वर्तमान समय में देश में गायों की दुर्दशा हो रही है. साथ ही चरवाहों की स्थिति भी खराब हो रही है.इनकी दुर्दशा को रोकने के लिए सरकार ने गौठान की व्यवस्था और चरवाहों की व्यवस्था बनाई है. गौठान में चारा, पानी, चरवाहे की व्यवस्था के साथ साथ गोबर खरीदने की शुरूआत भी छत्तीसगढ़ में की गई. आज सरकार 2 रूपये किलो में गोबर खरीद रही है और एक रूपये किलो में चावल गरीबों को दिया जा रहा है. गौठानों में उपलब्ध गोबर को बेचकर चरवाहे हजारों रूपए कमा रहे हैं. यह उनके आय का स्त्रोत बन गया है. गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाकर महिलाओं को भी रोजगार मिल रहा है. रासायनिक खाद के दुष्प्रभाव को रोकने के लिए वर्मी कम्पोस्ट के उपयोग से जैविक खेती की ओर बढेंगे और बीमारी से दूर होंगे. इस सोच के साथ छत्तीसगढ़ सरकार कार्य कर रही है.pandaria news today