बालोद: जल को जीवन कहा जाता है लेकिन छत्तीसगढ़ की खनिज नगरी में बहकर आने वाला लाल पानी दल्लीराजहरा और उसके आस-पास के लगभग 10 किलोमीटर के दायरे में स्थित दर्जनों गांव के लिए जहर बन चुका है. भिलाई स्टील प्लांट से बहकर आने वाले इस पानी की वजह से न सिर्फ खेतों की उर्वरक क्षमता कम हो रही है बल्कि चर्म रोग के मरीज भी बढ़ रहे हैं.
दल्लीराजहरा के ग्रामीण कई साल से लाल पानी का दंश झेल रहे हैं. इस जहरीले पानी ने यहां के आम लोगों के साथ ही यहां के किसानों की भी पीड़ा बढ़ा दी है. खदानों और संयंत्र से निकलने वाले डस्ट ने बहुत पहले ही यहां खेतों पर अपना प्रकोप दिखाना शुरू कर दिया था.
अब इन खेतों में हितेकसा जलाशय से लाल पानी छोड़ा जा रहा है. जो तेजी से मिट्टी की उर्वरक क्षमता को कम कर रहा है. जानकारी के लिए आपको बता दें कि हितेकसा वही जलाशय है जिसमें भिलाई संयंत्र आपना वेस्ट पानी जमा करता है और समय-समय पर इसे ग्रामीण इलाकों में छोड़ा जा रहा है.
लोगों को बीमार कर रहा है ये पानी
लाल पानी फसलों के साथ ही लोगों की सेहत पर गहरा प्रभाव छोड़ रहा है. यहां कई गांव ऐसे हैं, जहां पीने से लेकर रोजमर्रा के हर काम में यही पानी उपयोग हो रहा है. स्थानीय निवासियों की सेहत पर असर पड़ रहा है और चर्म रोग के मरीज बढ़ रहे हैं.
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गांववालों को आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला
ऐसा नहीं है कि गांववालों ने अपनी परेशानी किसी से नहीं कही. वे कहते हैं कि चर्म रोग, खुजली की शिकायत है. ग्रामीण कहते हैं कि अफसरों के सामने वे अपनी परेशानी लेकर गए लेकिन कोई निराकरण नहीं मिला. इस लाल मिट्टी को हटाने के लिए प्रशासन ने पहल की बात कही थी, मुआवजे का आश्वासन दिया था लेकिन आज तक गांववालों के हाथ कुछ नहीं आया.
भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन ने प्रभावितों को पावर प्लांट में रोजगार देने की बात कही थी लेकिन अब तक किसी को नौकरी नहीं मिली है.
हाल ही में आड़ेझर के ग्रामीण इसी लाल पानी प्रभावित सूची से गांव का नाम गायब हो जाने पर लाल पानी लेकर कलेक्टर ऑफिस पहुंच गए थे. हालांकि यहां रहने वाले आज भी समस्या के निदान की राह देख रहे हैं.