बालोद: भूपेश बघेल सरकार की महत्वाकांक्षी नरवा गरुवा घुरवा और बाड़ी योजना के तहत गौठान का स्वरूप बदल रहा है. अब गौठान लोगों को न सिर्फ स्वावलंबी बना रहा है, बल्कि इसके तहत ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने का प्रयास भी किया जा रहा है. गौठान का विकास देखना है तो जिले के चरोटा गांव के गौठान से बहतर कोई उदाहरण नहीं होगा.
विकास के लिए ये गौठान मील का पत्थर
चरोटा गांव में बने आदर्श गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाएं बेहतरीन काम कर रही हैं. महिलाओं ने गौठान में कड़कनाथ मुर्गा पालन का काम शुरू किया है. इसके अलावा इन गौठानों में पशुपालन, दूध बेचकर और वर्मी कंपोस्ट बनाकर आय अर्जीत किया जा रहा है. गौठान में मशरूम का भी उत्पादन किया जा रहा है.
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11 महिलाओं ने शुरू किया कुक्कुट पालन
गौठान में गंगा मैया स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने कुक्कुट पालन की भी शुरुआत की है. समूह की दो महिलाएं पूरे दिन इनके खाने-पीने का ध्यान रखती हैं. वहीं बारी-बारी से इनके रखरखाव का ध्यान रखा जाता है. महिलाओं ने बताया कि प्रशासन से प्रेरणा लेकर उन्होंने इसकी शुरुआत की है. वे बताती हैं कि सामान्य मुर्गियों की अपेक्षा में इसका दाम अधिक होता है और उन्हें उम्मीद है कि कुछ दिनों में अच्छी आमदनी होने लगेगी.