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बालोद:सरकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पुराने छात्रों को नहीं मिल रहा एडमिशन, अभिभावक परेशान

बालोद के सरकारी स्कूल को अंग्रेजी मीडियम में तैयार किया जा रहा है. साथ ही विद्यालय में छठवीं और नवमी क्लास में पढ़ने वाले पुराने बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा है. जिसके कारण अभिभावक परेशान हैं.

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अभिभावक परेशान

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Published : Jul 6, 2020, 5:13 PM IST

बालोद : बालोद के आमापारा विद्यालय में जिले के पहले अंग्रेजी माध्यम स्कूल की शुरुआत की जा रही है. सरकारी अंग्रेजी स्कूल के शुरुआत के साथ ही यह विद्यालय विवादों में आ गया है. दरअसल, यहां नए विद्यालय में छठवीं और नवमी कक्षा में पढ़ने वाले पुराने बच्चों को एडमिशन नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण बच्चों को दूसरे विद्यालय में एडमिशन कराना पड़ेगा. साथ ही बच्चों को सड़क पार कर जाना पड़ेगा, जिसके लिए अभिभावक राजी नहीं हैं. 6वीं और नवमी में एडमिशन न दिए जाने के विरोध को लेकर सभी अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचे.

विद्यालय के पुराने छात्रों को नहीं मिल रहा एडमिशन
पार्षद योगराज भारती के साथ जब सभी अभिभावक और बच्चे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पहुंचे. वहां पहुंचकर वे अधिकारी से मिलने की मांग करते रहे लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी 3 लोगों को भेजने की बात कहते रहे. इस बात के लिए अभिभावक तैयार नहीं हुए. जिसके बाद अंततः जिला शिक्षा अधिकारी आए और वह शासन का हवाला देते हुए शासन और कलेक्टर से बात करने की बात कही. इसके बाद भी अभिभावक संतुष्ट नहीं हुए और वे बैठे रहे. सभी ने कहा कि अब आगे वे दूसरी रणनीति अपनाएंगे. वहीं पार्षद और जिला शिक्षा अधिकारी के बीच कहासुनी जैसी स्थिति भी पैदा हुई.
अधिकारी से बात करते अभिभावक
पढ़ें : SPECIAL: रायपुर की ऋतिका ने बनाई देसी राखियां, चीनी राखियों को बैन करने की मांगसभी अभिभावक जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय को छोड़ आमापारा विद्यालय के समीप धरने पर बैठने की तैयारी करने की बात कह रहे हैं. जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि पास-पास में विद्यालय है तो किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए. वहीं अभिभावक का कहना है कि वह अपने बच्चों को बाहर नहीं भेजेंगे, आमापारा में एडमिशन न लेने के कारण बच्चों को शिकारीपाड़ा भेजना पड़ेगा. वहीं पालकों ने आरोप लगाया कि अगर उनके बच्चों को कुछ होता है तो जिम्मेदारी कौन लेगा. छठवीं कक्षा के बच्चे छोटे होते हैंं वहीं उन्हें सड़क पार कर नहीं भेज सकते है. जिला शिक्षा विभाग शासन के निर्देशों का हवाला दे रहा है, तो वहीं अभिभावक अपनी पीड़ा बयान कर रहे हैं. अब देखना यह होगा कि आगे सहमति किस आधार पर बनती है.

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