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पीएम मोदी के जन्मदिन पर बालोद में NSUI ने क्यों किया बूट पॉलिश ? - मनमोहन सिंह

पीएम नरेंद्र मोदी के जन्मदिन (PM Narendra Modi birthday) पर बालोद में एनएसयूआई (NSUI) के कार्यकर्ताओं ने बूट पॉलिश किया है. एनएसयूआई ने इस दिन को बेरोजगारी दिवस के रूप में मनाया है.

National Students Union of India
बालोद में एनएसयूआई का प्रदर्शन

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Published : Sep 17, 2021, 8:35 PM IST

बालोद: पूरे देश में आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्म दिवस (PM Narendra Modi birthday) मनाया जा रहा है. लेकिन भारतीय छात्र संगठन एनएसयूआई (NSUI) ने इसे बालोद में बेरोजगारी दिवस के रूप में मनाया. इस दौरान उन्होंने अनोखा विरोध प्रदर्शन किया है. दरअसल एनएसयूआई के कार्यकर्ता आज बालोद शहर के विभिन्न स्थानों पर जूता पॉलिश करने बैठ गए. उनका कहना है कि हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किया था. परंतु आज भी वे उन वादों को निभा पाने में असमर्थ हैं. केवल जुमले वादे करके युवाओं को गुमराह करने की कोशिश उनके द्वारा की जा रही है जिसका हम सब विरोध कर रहे हैं.

बालोद में बूट पॉलिश
बस स्टैंड पर डटे रहे NSUI कार्यकर्तासुबह से ही एनएसयूआई के कार्यकर्ता बस स्टैंड सहित विभिन्न जगहों पर जूता पॉलिश करने की सामग्री लेकर बैठे रहे. उन्होंने आने जाने वाले लोगों को अपने पास बुला कर जूता पॉलिश किया और इसके साथ ही उन्होंने सामने में एक रुमाल भी बिछा कर रखा था. जिसमें वे लोगों से पैसे भी मांग रहे थे. एनएसयूआई के प्रदेश सचिव जितेंद्र पांडे ने बताया कि, हम सब लोग प्रदेश नेतृत्व के आह्वान पर विविध रूप से प्रदर्शन कर रहे हैं. नरेंद्र मोदी सरकार कहती है कि अच्छे दिन आ गए, अगर इसे अच्छे दिन कहते हैं तो फिर हमें वही पुराना मनमोहन सिंह वाला दिन लौटा दें. हम उसी में खुश हैं

'मोदी के शासनकाल में बढ़ी बेरोजगारी'
एनएसयूआई द्वारा लोगों के जूते पॉलिश कर यह संदेश दिया गया कि, वह सब बेरोजगार हैं और पढ़ लिखकर उन्हें किसी तरह का रोजगार नहीं मिल पा रहा है तो वह जूते पोलिश करके गुजारा करने की जुगत में लगे हुए हैं. साथ ही एनएसयूआई द्वारा यह दलील भी दी गई कि केंद्र सरकार तो कहती है कि पकौड़े तलो. यह तो क्या हम सब पढ़ लिखकर पकोड़े तलें क्या हमें सक्षम रोजगार केंद्र सरकार नहीं दे सकती. यहां निजी एवं शासकीय सेक्टरों में प्रत्येक वर्ष करोड़ों लोगों की नौकरियां जा रही है. आखिर एक पढ़ा-लिखा युवक पढ़ाई करने के बाद किसके पास हाथ फैलाए. यहां तो कोई भी नौकरी देने में सक्षम नहीं है. केंद्र सरकार की नीति यह दर्शाती है कि नरेंद्र मोदी के साथ वर्षों के कार्यकाल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी बढ़ी है.

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