बालोद: जलेश्वर महादेव मंदिर का शिव कुंड दसौंदी तालाब प्रदेश के मॉडल तालाब के रूप में जाना जाता है. यहां ऊँ नम: शिवाय लेखन का एक अनोखा रिकॉर्ड बन रहा है.
जलेश्वर महादेव मंदिर का शिव कुंड "अनुभूति" शब्द नहीं अनुभव''' यह इस मंदिर का उद्देश्य है, क्योंकि जब तक भगवान का अनुभव न हो तो उस आस्था का क्या महत्व. यह प्रदेश का पहला ऐसा मंदिर है, जहां मंत्र लेखन किया जाता है. यहां पूरे प्रदेश भर से लोग आते हैं.
लेखन के बिना भक्तों का दिल नहीं भरता
बालोद के जलेश्वर महादेव के भक्तों की इतनी आस्था है कि रोजाना भक्त यहां मंत्र लेखन को आते हैं भक्तों का कहना है कि बिना मंत्र लेखन के हमारा दिल नहीं भरता, सुकून नहीं मिलता. कई भक्त ऐसे हैं जो रोजाना मंत्र लेखन कर लाखों ॐ नमः शिवाय मंत्र का लेखन कर चुके हैं..
चर्म रोग का होता है इलाज
इस शिव कुंड को लेकर मान्यता है कि यहां नहाने वाले लोगों को चर्म रोग से मुक्ति मिलती है. प्रदेश भर से लोग यहां अपने शरीर की समस्या से छुटकारा पाने के लिए आते हैं.
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बन रहा है अनोखा रिकार्ड
4 जुलाई 2012 से यहां भक्तों के द्वारा ओम नमः शिवाय मंत्र का लेखन कार्य अनवरत किया जा रहा है और अब तक 27 करोड़ मंत्र लिखे जा चुके हैं इस मंत्र लेखन में सभी वर्गों की सहभागिता है. यहां प्रत्येक वर्ष मंत्राभिषेक का आयोजन किया जाता है.
आत्मीय सुख की अनुभूत
बसंती तालाब के बीच स्थापित शिवलिंग आज हजारों लोगों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है. इस स्थल में एक अलग ही व्यवस्था है. यहां तालाब के चारों ओर कक्ष बना है. "अनुभूति शब्द नहीं अनुभव" की भक्तिमय उद्देश्य को लेकर इन कमरों में भक्तगण साल भर यहां आकर ओम नमः शिवाय का मंत्र लेखन करते हैं. इसमें बच्चों, महिला, पुरुष सभी को मंत्र लेखन की छूट है.
अब तक 27 करोड़ मंत्र अर्पित
शिव कुंड दसौंदी तालाब के समिति सदस्य विनोद कौशिक ने बताया कि स्थापना के बाद से अब तक लगभग 27 करोड़ मंत्र अर्पित किए जा चुके हैं. वहीं आने वाले सत्र में लगभग डेढ़ करोड़ मंत्र अर्पित किए जाएंगे. यह तालाब प्रदेश में मॉडल के रूप में दर्ज है. इसका निर्माण माजी फाउंडेशन से यज्ञदत्त शर्मा द्वारा किया गया है.