बालोद: जिले के गांव घुमका ने शराबबंदी को लेकर ठोस कदम उठाया है. यहां पर अवैध शराब बिक्री (illegal liquor sales in balod) से परेशान ग्रामीणों ने पूरा काम धाम बंद कर गांव में सामूहिक बैठक किया. जिसमें कई कड़े निर्णय लिए गए. बैठक में 12 ऐसे लोग जो शराब बिक्री करते पकड़े गए थे, उनसे 45000 रुपए का अर्थदंड लिया गया. साथ ही गांव में यह नियम बनाया गया कि शराब बेचने और खरीदने वाले से आगे 51000 रुपये का अर्थदंड लिया जाएगा. (liquor ban in Ghumka village of Balod )
गांव में लगाया जाएगा सीसीटीवी कैमरा:गांव में हुए सार्वजनिक बैठक में ग्रामीणों ने मिलजुल कर यह निर्णय लिया कि गांव के 10 जगहों को चिन्हांकित कर 10 दिनों के भीतर सीसीटीवी कैमरा लगाया जाएगा. जहां से शराब खरीदी बिक्री करने वालों के खिलाफ कड़ी निगरानी की जाएगी. गांव ने हाईटेक ढंग से शराब बंदी को लेकर कदम उठा लिया है. इसके साथ ही गाली गलौच, बेवजह बवाल करने वाले को 20 हजार रुपये का अर्थदंड का प्रावधान भी रखा गया है.
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ग्रामसभा में शराबबंदी का फैसला:ग्राम के वरिष्ठ नागरिक प्रेम साहू ने जानकारी देते हुए बताया कि "गांव में खुले रूप से अवैध शराब बिक्री (illegal liquor sales in balod) के कारण हर वर्ग शराब की चपेट में है. विशेषकर महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. जिसके कारण मानवता खत्म होती जा रही है. ग्रामीणों की यह पहल काफी सार्थक है. आज की बैठक में सभी ने मिलजुल कर सहभागिता निभाई है."
अर्थदंड का रखा प्रावधान:ग्राम पंचायत घुमका और ग्राम समिति की तरफ से संयुक्त रूप से बैठक रखी गई. जिसमें अर्थदंड का प्रावधान भी रखा गया है. अब तक 45000 रुपये 12 शराब विक्रेताओं से लिए गए हैं. साथ ही हिदायत भी दी गई है कि यदि कोई शराब बेचते या फिर खरीदते पकड़ा जाता है, तो उन्हें 51000 रुपये का अर्थदंड लिया जाएगा.
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डिस्पोजल बेचने पर प्रतिबंध:गांव वालों ने यह निर्णय लिया है कि शराब पीने वाले अक्सर डिस्पोजल का उपयोग करते हैं. लेकिन गांव वालों ने इसे गहराई से लिया और गांव में डिस्पोजल बेचना भी प्रतिबंधित कर दिया है. दुकानदारों को भी समझाइश दी गई है कि शराब बेचने और पीने वालों को डिस्पोजल उपलब्ध ना कराएं.
इन्होंने किया बैठक का नेतृत्व:इस बैठक का नेतृत्व सरपंच कर रहे थे, जिसमें ग्राम सचिव सहित अन्य प्रमुख जन मौजूद रहे. उन्होंने गांव की समस्या को देखते हुए आज सर्वसहमति से यह निर्णय लिया. ऐसा निर्णय लेने वाला यह पहला गांव बन चुका है.