बालोद : जिले के ग्राम लाटाबोड़ में एक परिवार ऐसा है जो दशकों से प्रधानमंत्री आवास के लिए भटक रहा है. इनके पास रहने को छत नहीं, चलने को सड़क नहीं, बारिश की बूंदे किसी कहर से कम नहीं है. कुछ ऐसे ही दर्द के साथ बालोद के लाटाबोड़ में 25 लोगों का एक परिवार गुजर-बसर कर रहा है. शासन-प्रशासन की नजर में इनकी जिंदगी की कोई कीमत नहीं है, ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि इनके हालात कह रहे है. 2010 से कई बार दरफ्तर के चक्कर काटने और गुहार लगाने के बाद भी इन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ नहीं मिल सका. इनके लिए बारिश का सीजन किसी मुसीबत से कम नहीं होता, ठंड में ठिठुरने के आलावा कोई चारा नहीं है.
इनकी समस्या को लेकर परिवारों वालों का कहना है कि वे लगभग 2010 से चप्पल घिस रहे हैं, इसके बावजूद उन्हें कोई ऐसा नहीं मिला, जो मदद का हाथ बढ़ा सके. पंचायत से भी इन्हें कोई सहारा, कोई उम्मीद नहीं मिल सकी. अब उन्होंने इस झोपड़े को ही अपना सहारा मान लिया है. उनका कहना है कि यह इसी छोटे से झोपड़ी में जीवन व्यतीत कर रहे हैं और इसी झोपड़े में ही वे अंतिम सांस भी लेंगे. परिवार का ये भी कहना है उन्हें ही प्रधानमंत्री आवास का लाभ नहीं मिला है. पड़ोसियों को आवास योजना का लाभ मिल पा रहा है. वे कहते हैं कि केवल अधिकारियों और पंचायत के बीच जाकर अपनी मांग रख सकते हैं, लेकिन जब तक मकान नहीं मिलता तब तक वे जर्जर मकान में जीवन यापन करने को मजबूर हैं.
'चुनाव के समय आते हैं नेता'
परिवार वालों ने बताया कि केवल चुनाव के समय ही घरों में नेता और जनप्रतिनिधि आते हैं, उसके बाद कोई झांकने तक नहीं आता. नेता और जनप्रतिनिधि यही दिलासा देकर जाते हैं कि उन्हें आवास योजना के तहत पक्का मकान बना कर देंगे. आबादी की जमीन भी देंगे, लेकिन ये सब महज वादे ही साबित होते हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना और आबादी भूमि की मांग को लेकर यह परिवार मुख्यमंत्री, कलेक्टर और पंचायत आला-अधिकारियों के अलावा जनप्रतिनिधियों तक भी अपनी समस्या पहुंचा चुके हैं, लेकिन कोई भी इनकी समस्या सुनने को राजी नहीं है.
'नहीं आते मेहमान'
पीड़ित परिवार ने अपना दर्द बांटते हुए बताया कि घर की हालात देखकर परिवार का कोई भी सदस्य उनके यहां नहीं आता. उनके घर में जगह नहीं है, बच्चे जमीन पर सोते हैं, सांप बिच्छू का भी डर बना रहता है. परिवार का ये भी कहना है कि पंचायत की तरफ से वहां पुलिया का निर्माण नहीं किया गया है. इस कारण नाली का पानी भी उनके घर में घुसता है.
'सिर्फ मिला आश्वासन'
पूरे मामले में सरपंच का कहना है कि सभी दफ्तर में वे चक्कर काट चुके हैं, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला, मकान नहीं मिला. सचिव का कहना है कि सर्वे सूची इस परिवार का नाम शामिल नहीं है. यह एक परिवार में चार भाई हैं तो इन्हें आबादी का लाभ भी नहीं मिल सकता. नियमों के आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी.