बालोद: जिले के मां गंगा मइया मंदिर में हर नवरात्र में प्रदेशभर के लाखों भक्त माता के दर्शन करने आते हैं. लेकिन इस साल कोरोना संक्रमण को देखते हुए नवरात्रि के लिए प्रशासन ने सख्त गाइडलाइन जारी किया है. जिसके कारण मां गंगा मइया मंदिर में केवल मंदिर ट्रस्ट के सदस्य और पुजारी ही मंदिर में पूजा अर्चाना कर रहे हैं. मंदिर में भक्तों का प्रवेश पूरी तरह से वर्जित कर दिया गया है.
नवरात्र में मां गंगा मइया मंदिर में विशाल मेला लगता था. वह मेला भी इस साल प्रतिबंधित रहा. मंदिर परिसर में कुछ दुकानें हैं जहां के व्यापारी नारियल अगरबत्ती बेचकर अपना जीविकोपार्जन करते थे. लेकिन कोरोना के इस संकट काल में उन्हें भी इस बार व्यापार करने का अवसर नहीं मिला. मां गंगा मइया का दरबार इस नवरात्र सूना रहा. नवरात्र में माता के भक्तों को मां के दर्शन नहीं हो पाए. मंदिर में इस बार 851 ज्योति कलश प्रज्वलित किए गए हैं.
रोचक है मंदिर का इतिहास
मां गंगा मइया मंदिर की कहानी आज से करीब 130 साल पुरानी है. उस दौरान बालोद जिले की जीवनदायिनी तांदुला नदी के नहर का निर्माण चल रहा था. उस समय झलमला गांव की आबादी महज 100 के आसपास थी. सोमवार के दिन यहां बाजार लगा करता था. जहां दूरस्थ अंचलों से पशुओं के विशाल समूह के साथ हजारो लोग आया करते थे. यहां पशुओं की अधिकता से पानी की कमी महसूस की जाने लगी. पानी की कमी को पूरा करने के लिए तालाब बनाने के लिए डबरी की खुदाई की गई. जिसे बांधा तालाब का नाम दिया गया. मां गंगा मइया की कहानी इसी तालाब से शुरू होती है. वर्तमान में जिस जगह पर देवी की प्रतिमा स्थापित है वहां पहले तालाब हुआ करता था. जहां पर पानी भरा रहता था.
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