छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

Gauraiya Dham fair of Balod: कलचुरी वंश से जुड़ा है गौरैया धाम का इतिहास, माघ पूर्णिमा पर लगा मेला, हजारों श्रद्धालु जुटे

माघ पूर्णिमा के पावन पर्व के मौके पर बालोद जिले के गौरैया धाम में विशाल मेला लगा है. इस धाम का इतिहास कलचुरी वंश से जुड़ा होने का दावा किया जाता है. माघ पूर्णिमा पर हजारों भक्त यहां पहुंचे. स्नान करने के साथ ही भक्तों ने पूजा अर्चना किया. Devotees offer prayers

Fair held on Magha Purnima
माघ पूर्णिमा पर लगा मेला

By

Published : Feb 5, 2023, 9:10 PM IST

माघ पूर्णिमा पर गौरैया धाम में लगा मेला

बालोद:माघ पूर्णिमा पर जिले के गौरैया धाम में लगे मेले में आसपास ही नहीं दूर दराज से भी भक्त पहुंचे. दिन भर मेले का लुफ्त उठाया तो वहीं स्नान ध्यान भी किया. यहां पर हिंदू देवी देवताओं की समूहों के मंदिर तो स्थापित किए ही हैं, कबीर और गायत्री परिवार के मंदिर भी बने हैं. मान्यता के मुताबिक यहां पर चिड़ियों की चहचहाहट शिव शिव के नाम का उच्चारण करती थीं. वहीं मंदिर का जुड़ाव कलचुरी वंश से होने का दावा भी किया जाता है.

कहानी, गीत में भी गौरैया का जिक्र:आज से 50 साल पहले प्रदेश के जाने माने कवि मुकुंद कौशल ने अपने गीत में गौरैया का जिक्र किया है. छत्तीसगढ़ व्याकरण के निर्माता स्व. चंद्रकुमार चंद्राकर ने भी गाैरेया को लेकर सर्वे किया था. वह टेलीफिल्म बनाना चाहते थे लेकिन उनका निधन हो गया. उन्होंने गौरेया धाम स्थल को लेकर कई जानकारी जुटाई थी, जिसका वर्णन वे अपने साथियों से करते थे.

Sihawa Karneshwar Dham: सिहावा कर्णेश्वर धाम का ऐतिहासिक महत्व, माघ पूर्णिमा पर लगता है विशाल मेला


तीन नदियों का संगम : विधायक कुंवर सिंह निषाद ने बताया कि "गौरेया धाम में तीन गांव के बीच विविध आयोजन होते हैं. मुख्य आयोजन चौरेल में होता है. तांदुला नदी मोहलाई और पैरी घाट से भी जुड़ा है. तीनों इलाके के बीच तांदुला नदी संगम के रूप में हैं. यहां कोंगनी की ओर से लोहारा नाला और भोथली से जुझारा नदी भी मिलती है. 3 गांवों के बीच 3 नदियों का संगम होता है. यहां पर पूरे अंचलवासियों की आस्था जुड़ी हुई है." उन्होंने कहा कि "यह मेला लोगों को आस्था से जोड़ता है."


इस धाम का नाम और कहावत:स्थानीय लोगों के मुताबिक"यहां गौरिया जाति के एक बाबा आए थे, जो सांप पकड़ने के लिए यहीं निवास करने लगे. वह हमेशा भगवान शंकर की भक्ति में डूबे रहते थे. उनकी मौत के बाद यहां मूर्ति बना दी गई, जो आज भी पीपल पेड़ के नीचे स्थापित है. उनके नाम के अनुरुप मूर्ति को गौरैया बाबा समझकर लोग पूजा करने लगे. नागपुर, महाराष्ट्र के लोग यहां माघी पूर्णिमा में आते है भजन कीर्तन करते हैं."

Rape with minor in Korba: कोरबा में नाबालिग से दुष्कर्म का आरोपी गिरफ्तार, न्यूड फोटो वायरल करने की धमकी देकर कई बार किया था रेप



समाधि में लीन हुए थे देवता : कहावत के अनुसार "यहां सभी देवी-देवता तीर्थ भ्रमण करते हुए शिवरात्रि में आए और समाधि में लीन हो गए. भगवान शिव ने समाधि खुलने के बाद यह देखा कि माता गौरी और गौरैया पक्षी अपने हाथों में चंवर (चावल) लिए भक्ति में लीन हैं. शिव दोनों के सेवाभाव से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया. माता गौरी और गौरैया पक्षी दोनों ने आशीर्वाद मांगा कि हम सदैव आपकी सेवा में लीन रहें."


खुदाई में 132 पाषाण मूर्तियां निकली:इस धाम में स्थित एक प्राचीन बावली में खुदाई से 8वीं से 12वीं सदी की लगभग 132 पाषाण मूर्तियां निकली. जिन्हें मंदिर परिसर में ही रखा गया है. छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक दृष्टि से यह क्षेत्र फणी नागवंशी शासकों के अधीन था. यहां से प्राप्त मूर्तियों और भोरमदेव मंदिर में स्थित मूर्तियों में साम्यता है. इस धाम में प्राचीन मंदिरों का विशिष्ट समूह है. यहां राम जानकी मंदिर, भगवान जगन्नाथ मंदिर, ज्योतिर्लिंग दर्शन, दुर्गा मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, पंचमुखी हनुमान मंदिर, बूढ़ादेव मंदिर, संत गुरु घासीदास मंदिर, संत कबीर मंदिर और वैदिक आश्रम हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details