बालोद: लाटाबोड़ क्षेत्र के किसान प्रमाणित बीज के नाम पर खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. धान कटाई का समय आ चुका है, तब उन्हें पता चला कि जिस किस्म का बीज उन्होंने खरीदा था, वह बीज पूरे खेत में 10 प्रतिशत ही उपजा है. बाकी 90 प्रतिशत अन्य उपज है. वह भी बीमारियों की चपेट में है. ग्राम लाटाबोड़ के किसान सुभाष दास साहू, कुमार साहू समेत ऐसे कई किसान हैं जिन्हें इस तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
किसानों ने बताया कि एक ओर सरकार किसानों के हित की बात करती है, तो दूसरी तरफ इस तरह की प्रशासनिक लापरवाही से किसान परेशान हैं. किसानों ने समस्या की जानकारी प्रशासन को दी है. जिसके बाद मंगलवार को कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक, कृषि विभाग के अधिकारी और बीज निगम की टीम मौके पर जांच के लिए पहुंची.
जिस किस्म बीज खरीदे थे वह मिला सिर्फ 10 प्रतिशत
कृषक सुभाष दास साहू ने बताया कि उसने बीज निगम के डीलर से आईआर 64 किस्म की धान के बीज की खरीदी की गई थी और उसे लगभग 5 एकड़ में बोया गया. फसल के लिए काफी मेहनत की, लेकिन जब पौधे निकलने शुरू हुए तब उम्मीद धरी की धरी रह गई. दरअसल, पूरे खेत के 10% हिस्से में ही उनका मन चाहा किस्म के धान की पैदावार हुई है. बाकी 90% यहां अन्य किस्म के धान दिखाई दे रहे हैं. जिसकी क्वालिटी बेहद खराब है और बीमारियों की चपेट में है. ऐसे में पूरी फसस बर्बाद होने की कगार पर है.
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जांच के लिए पहुंचे अधिकारी
शिकायत के बाद कृषि विभाग के अधिकारी और बीज निगम की टीम, कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक के साथ फसल की जांच के लिए पहुंचे. वैज्ञानिकों ने खेत में बारी-बारी जाकर सभी पहलुओं की जांच की गई और बताया गया कि आगे जांच रिपोर्ट पूरी की जाएगी. इसके बाद ही आगे का फैसला लिया जाएगा. अधिकारियों का यह भी कहना था कि फसल को बीमारी की चपेट में होने के कारण भी ऐसी समस्या आ सकती है.
क्या है कृषि वैज्ञानिकों की राय