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जनभागीदारी समिति की मनमानी, काटे जा रहे प्राइवेट छात्रों के जेब तो प्रबंधन एक दूसरे पर फोड़ रहे ठीकरा - ghanshyam singh gupta postgraduate college

कॉलेज शासकीय घनश्याम सिंह गुप्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय में इन दिनों मनमानी करते हुए कालेज प्रशासन द्वारा प्राइवेट छात्रों की जेब काटे जा रहे हैं. दरअसल कुछ दिन पूर्व दुर्ग यूनिवर्सिटी की ओर से प्राइवेट छात्रों के भर्ती के लिए सूचना जारी की गई थी.

शासकीय घनश्याम सिंह गुप्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय
शासकीय घनश्याम सिंह गुप्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय

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Published : Jan 21, 2022, 11:04 PM IST

बालोद:एजिले के लीड कॉलेज शासकीय घनश्याम सिंह गुप्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय में इन दिनों मनमानी करते हुए कालेज प्रशासन द्वारा प्राइवेट छात्रों की जेब काटे जा रहे हैं. दरअसल कुछ दिन पूर्व दुर्ग यूनिवर्सिटी की ओर से प्राइवेट छात्रों के भर्ती के लिए सूचना जारी की गई थी. जिसके बाद प्राइवेट छात्र ऑनलाइन फॉर्म भरकर एक प्रति कॉलेज में जमा कर रहे हैं, लेकिन छात्रों से उसका फार्म तब तक नहीं लिया जा रहा है. जब तक वह 430 रुपया फार्म के साथ जमा ना करें.

जनभागीदारी समिति की मनमानी

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30 रुपए फॉरवर्ड शुल्क के नाम पर लूट

शुल्क लेने के बाद रसीद में 30 रुपए फार्म फॉरवर्डिंग शुल्क और 400 रुपए महाविद्यालय के विकास के नाम पर लिए जा रहे हैं अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जो छात्र प्राइवेट है उनसे महाविद्यालय के विकास को लेकर क्यों शुल्क लिए जा रहे हैं मामले को लेकर कॉलेज प्राचार्य ज्योतिष खलखो ने जनभागीदारी समिति पर ठीकरा फोड़ दिया इधर जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष ने छात्र हित में पैसे खर्च करने का हवाला दे दिया।

जनभागीदारी से होता है प्रबंधन

अग्रणी महाविद्यालय के जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष हंसमुख तिवारी ने पूरे मामले पर कहा कि यहां पर जनभागीदारी शुल्क पिछली बार कोविड को देखते हुए माफ कर दिया गया था परंतु इस बार पुणे जनभागीदारी शुल्क लिया जा रहा है जनभागीदारी शुरू की परंपरा वर्षो से चली आ रही है और इसी से वित्त से लेकर शिक्षकों तक का वेतन भुगतान होता है और भी महाविद्यालय की कई सारे प्रबंधन इसी राशि से किया जाता है.

आक्रोश में छात्र

बालोद जिले के अग्रणी महाविद्यालय में अधिक शुल्क लिए जाने के मामले को लेकर प्राचार्य को ज्ञापन सौंपा गया है. छात्र-छात्राओं ने बताया कि एक तो हम ग्रामीण अंचलों से पैसे खर्च कर यहां तक पढ़ाई करने आते हैं और महाविद्यालय में भी इस तरह की लूट मची हुई है. हमें अपने बालकों को जवाब देना पड़ता है कि आखिर अधिक पैसे क्यों लिए जा रहे हैं. छात्रों का कहना कि 2 दिन के भीतर हमने प्रबंधन से अधिक राशि लिए जाने के संदर्भ में जवाब मांगा है, यदि जवाब नहीं देते हैं तो फिर आगे उग्र आंदोलन किया जाएगा.

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