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बालोद के स्कूलों में शुरू हुआ अंडा वितरण, संत समाज ने जताया विरोध - अनुयायियों ने बालोद में मौन रूप से विरोध किया है

बालोद के स्कूलों में अंडा वितरण करने की योजना शुरू कर दी गई है. जिसके बाद सामाजिक संगठन अंडे के विरोध में सामने आने लगे हैं. कबीरपंथी संत और उनके अनुयायियों ने बालोद में मौन रूप से विरोध जताया है.

Egg distribution started in Balod schools
स्कूलों में अंडा वितरण का संत जन कर रहे विरोध

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Published : Nov 25, 2019, 9:45 PM IST

Updated : Nov 26, 2019, 3:59 AM IST

बालोद:सरकार की ओर से स्कूलों में अंडा वितरण करने की योजना चालू की गई थी. इसका काफी विरोध हुआ था, जिसके बाद गाइडलाइन जारी किया गया था, कि जो बच्चे अंडा खाते हैं उनको घर में अंडा पहुंचाया जाएगा. बावजूद इसके बालोद के स्कूलों में अंडा वितरण की शुरुआत कर दी गई है.

कबीरपंथी समाज ने फैसले का किया विरोध

विद्यालयों में खाने वाले बच्चों और नहीं खाने वाले बच्चों को अलग-अलग रूप से खाना दिया जा रहा है. लेकिन एक ही रसोई में यह अंडा बनाया जा रहा है. जिस पर अब सामाजिक संगठन अंडे के विरोध में सामने आने लगे हैं कबीरपंथी संत और उनके अनुयायियों ने बालोद में मौन रूप से विरोध किया है.

बालोद के स्कूलों में शुरू हुआ अंडा वितरण

कलेक्टर से किया निवेदन

कलेक्टर से मिलने पहुंचे संतजनों का कहना है कि वे अभी शांत रूप से निवेदन कर रहे हैं. अगर उनकी बात को स्वीकार नहीं किया गया तो वे विरोध भी कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि इसके लिए उन्हें विभिन्न सामाजिक संगठनों से भी समर्थन मिलना शुरू हो गया है.

कबीरपंथी अमृत दास का कहना है कि अंडा मांसाहारी भोजन है इसलिए इसे स्कूलों में नहीं देना चाहिए. उन्होंने कहा कि 'अंडा विद्यालयों में देने से बच्चों के अंदर अवगुण आएगा और जो आज अंडा खा रहे हैं वह भविष्य में मांस भी खाएंगे. इससे मांसाहार और राक्षसी प्रवृति को बढ़ावा मिलेगा'. इसलिए हम इसका विरोध कर रहे हैं.

संत कबीर पब्लिक स्कूल के संचालक मोहन लाल साहू का कहना है कि अंडा वितरण करने की प्रक्रिया को लेकर सरकार की ओर से छल किया गया है. उन्हें कहा गया था कि खाने वाले लोगों को घर-घर अंडा पहुंचाया जाएगा. लेकिन बालोद जिले से इसकी शुरुआत की गई. मोहन लाल साहू ने सरकार पर इस मामले में छल करने का आरोप लगाया है.

कबीर मंदिर के संत उबार दास का कहना है कि 'अंडा बांटने की जगह सरकार को मेवा मिष्ठान, फल-फ्रूट बच्चों को देना चाहिए. जिससे उसी बजट में बच्चों को पौष्टिक तत्व मिल सके'. उन्होंने कहा कि 'लेकिन सरकार की ओर से अंडा वितरण कर सामाजिकता को भंग किया जा रहा है और राक्षसी भोजन देकर बच्चों को बिगाड़ा जा रहा है'. इसका हम सब विरोध नहीं बल्कि निवेदन करने आए हैं कि इसे बंद कर दिया जाए.

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मिड डे मील में अंडा बांटने के सरकार के फैसले के बाद पूर प्रदेश में सियासी उबाल देखा गया था. जिसके बाद कई विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर सरकार ने इसमें बदलाव किया था. लेकिन अब इस बदलाव के बावजूद अंडा वितरण का काम शुरू हो गया है. जिसका फिर विरोध शुरू हो गया है. अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में शासन-प्रशासन अंडा वितरण को लेकर किस तरह की नीति अपनाती है.

Last Updated : Nov 26, 2019, 3:59 AM IST

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