बालोद: छत्तीसगढ़ के बालोद में धर्मांतरण (Dharmantaran)का मुद्दा दिनों दिन तूल पकड़ता जा रहा है. ऐसे में अनूसूचित जनजाति आयोग (Anusuchit janjati aayog) के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह (Bhanu pratap singh) ने मीडिया से मुखातिब हो कहा कि धर्मांतरण के मुद्दे पर कुछ भी कहना सही नहीं है, हालांकि हर किसी को अपने मन से धर्म को स्वीकार करने की आजादी है. दरअसल, आदिवासी समाज (Adiwasi samaj) के वरिष्ठ जनों की बैठक सर्किट हाउस सभागार (Circuit House Auditorium) हुई, जहां पिछले दिनों हुए चक्का जाम (Chakka jam) सहित गंभीर विषयों पर चर्चा की गई.
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बताया जा रहा है कि इस बैठक के दौरान कई गंभीर विषयों पर यह चर्चा की गई. क्योंकि इन दिनों आदिवासी समाज (Adiwasi samaj)के चक्का जाम के बाद से आदिवासी समाज को शांत करने के लिए सरकार द्वारा भी बातचीत के विकल्प निकाले जा रहे हैं. इस बीच बैठक के बाद अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि संविधान में हर धर्म को मानने का अधिकार लोगों को पहले से ही मिला हुआ है.
धर्मांतरण कोई मुद्दा नहीं
अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने कहा कि धर्मांतरण के विषय पर हम कुछ नहीं कह सकते, क्योंकि यह भारत देश है और भारत धर्मनिरपेक्ष देश है. यहां पर संविधान में सभी धर्मों को मानने की आजादी दी गई है. हर वर्ग हर धर्म अपनी-अपनी बातों को रखना चाहता है. हमारे पास धर्मांतरण जैसा अभी तक कोई भी मुद्दा सामने नहीं आया है. हर वर्ग को अपनी बात रखने का अधिकार है. यहां धर्मांतरण जैसा कोई विषय ही नहीं है.
धर्मांतरण पर हावी है सियासत
वहीं, अगर मौजूदा हालात पर गौर किया जाए तो धर्मांतरण को लेकर सियासत छिड़ी हुई है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों से इस तरह की सूचनाएं भी आई है कि कई जगहों पर गणेश प्रतिमा स्थापित नहीं किए गए हैं. कुछ जगहों पर आदिवासी खुद को हिंदू ना होने का भी बात कह रहे हैं. जिसके कारण भारतीय जनता पार्टी द्वारा राज्य सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है. धर्मांतरण के विषय को लेकर धरना प्रदर्शन भी किया जा चुका है. राज्यपाल को भी ज्ञापन सौंपा जा चुका है. ऐसे में अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष ने ऐसे मामलों को सिरे से खारिज कर दिया.