बालोद: नगरीय निकाय क्षेत्र में प्रवेश करने के साथ ही हमें बालोद जिले की जीवनदायिनी तांदुला नदी का मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता था. लेकिन आज नदी की जो हालत है. वह बेहद खराब है. इसका कारण प्रशासन और जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की उदानसीनता को कहा जा सकता है. जिस तांदुला नदी की पहचान पूरे प्रदेश में है. वह आज अपने अस्तित्व के लिए तरस रही है. जिसे संवारने का बीड़ा अब राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के छात्र-छात्राओं और स्वामी विवेकानंद सामाजिक संगठन के सदस्यों ने उठाया है. इनकी इस मुहिम में ग्रीन कमांडो की टीम भी साथ दे रही है.
छात्र-छात्राओं को नदी की साफ सफाई करते देखा जा सकता है. बच्चों का कहना है कि हमें यहां की गंदगी यहां खींच लाई है. राष्ट्रीय सेवा योजना के जिला संगठन लीना साहू ने बताया कि सामाजिक संगठनों के जरिए हमारे पास नदियों के गंदगी के संदर्भ में बातें आई थी. हमने भी कहा कि नदियों की सफाई हम सबकी जिम्मेदारी है. हमने केवल बच्चों को निर्देशित किया. बाकी सभी बच्चे स्वस्फूर्त नदियों की सफाई के लिए पहुंचे. उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में प्रशासन का सहयोग हो विभिन्न सामाजिक संगठनों का सहयोग हो तो इसे और बेहतर किया जा सकता है. तांदुला नदी को जीवनदायिनी कहा जाता है. इसे वास्तव में जीवनदायिनी का स्वरूप देने की जरुरत है. ताकि नदी का संरक्षण हो सके.
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