छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

SPECIAL: बालोद में मजदूरों के हक पर डाका, मनरेगा में घपले से मजदूर परेशान !

बालोद जिले में मनरेगा में भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है. ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि, अधिकारी-कार्मचारी ने मिलकर भ्रष्ट्राचार किया है. जो कार्य करने कभी आए नहीं उनके नाम पर मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है. वहीं इस मामले में अधिकारी-कार्मचारी एक-दूसरे पर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं.

Balod MGNREGA corruption
मनरेगा में भ्रष्टाचार !

By

Published : May 25, 2020, 10:14 AM IST

बालोद:कोरोना वायरस के संक्रमण के दौरान हुए लॉकडाउन में मनरेगा मजदूरों के लिए संजीवनी बना हुआ है. लेकिन इसी मनरेगा में जमकर भ्रष्टाचार के मामले भी सामने आ रहे हैं. ताजा मामला बालोद जिले के तरौद गांव का है. जहां ग्रामीणों ने सरपंच और अफसरों पर आरोप लगाए हैं कि जो ग्रामीण और मजदूर कभी कार्यस्थल तक गए नहीं, उनके नाम से भी राशि निकाली गई है और ये फर्जीवाड़ा साल 2014 से चल रहा है.

मजदूरों के हक पर डाका

फर्जीवाड़े के खुलासे से ग्रामीणों में गुस्सा

गांववालों का कहना है कि, जब उन्होंने अपने स्तर पर पड़ताल शुरू की तो इस मामले का पता चला. ग्रामीणों ने इसके लिए रोजगार सहायक को जिम्मेदार ठहराया है. इतना ही नहीं कई और लोग हैं, जिनके नाम से लगातार राशियां निकाली जा रही थी. इसे लेकर ग्रामीणों में काफी गुस्सा था. वह सभी रोजगार सहायक पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों के आरोपों से तरौद गांव से लेकर बालोद तक हड़कंप मचा हुआ है.

पढ़ें-CORONA UPDATE : बालोद मिले चार नए कोरोना मरीज, मुंबई से लौटे थे सभी

अधिकारी-कर्मचारी एक दूसरे पर झाड़ रहे पल्ला

इस मामले में जहां रोजगार सहायक से पूछा गया तो उसने निर्माण कार्यो में पैसा एडजस्ट करने के नाम पर इंजीनियर पर मनमानी का आरोप लगाया है. गांव में इस मामले को लेकर तनातनी की स्थिति है. पूर्व सरपंच के खिलाफ लोग लामबंद हो रहे हैं. वहीं वर्तमान सरपंच का कहना है कि, वे इस मामले से अनजान हैं और अपने उच्च अधिकारियों को भी इस संदर्भ में जानकारी देंगे. घपले के इस पूरे खेल के बारे में जब इंजीनियर से चर्चा की गई तो उन्होंने, बताया कि जो भी बयान गांव के रोजगार सहायक ने दिए हैं वह सरासर झूठ है. कुल मिलाकर इस मामले में प्रशासन के अधिकारी, कर्मचारी एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं. लेकिन यह कोई बताने को राजी नहीं है कि, आखिर मजदूरों के हक पर कौन डाका डाल रहा है. मनरेगा जैसी योजनाएं जो मजदूरों के हितों के लिए लागू की गई थी उसको भी सिस्टम में बैठे लोग गंदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. ऐसे में गरीब मजदूरों का क्या होगा जो मेहनत मजदूरी कर के दो जून की रोटी का जुगाड़ करते हैं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details