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बालोद की बैंक सखियां नाराज, जानिए वजह

बालोद में घर घर बैंकिग सुविधाएं मुहैया कराने वाली बैंक सखियों को वेतन मुहैया नहीं हो पा रहा है. सरकार से नाराज बैंक सखियों ने दो साल से नहीं मिल रहे मानदेय की मांग की (Bank sakhiyan are not getting salary in Balod) है.

Bank sakhiyan in Balod
बालोद की बैंक सखियां

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Published : Aug 9, 2022, 1:21 PM IST

बालोद:बालोद में गांव गांव बैंकिंग सुविधा को पहुंचाने और महिलाओं को शासन की हर योजना से जोड़ने के लिए बैंक सखी योजना की शुरुआत की गई है. यह बैंक सखियां अपना दायित्व बेहतर तरीके से निभा भी रही हैं. लेकिन जिन्होंने गांव गांव घूमकर पेंशन बांटे और महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए समय दिया, वो बैंक सखियां ही सरकार से नाराज चल रही हैं. दरअसल, 2 साल तक उन्हें मानदेय देने की बात कही गई थी. लेकिन एक साल में ही इस योजना ने दम तोड़ दिया. बैंक सखियों के बीच अब वेतन के लाले पड़े हैं. ये बैंक सखियां प्रशासन के सामने अपनी समस्या को लेकर मुखर (Bank sakhiyan are not getting salary in Balod ) हैं.

बैंक सखियां

कौन है बैंक सखी: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंक संस्थानों की घर घर तक पहुंच बनाने और बैंकिंग सेवाओं को सुनिश्चित करने के लिए "बैंक सखी मॉडल' ( SHG Members as BC Agents) पर काम किया जा रहा है, ताकि गांव के लोगों को, गांव में ही बैंकिंग सुविधायें दी जा सके.

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बैंक सखियों को नहीं मिल रहा वेतन: बैंक सखी नोकेश्वरी साहू ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि ''सरकार ने दो साल तक मानदेय देने की बात कही थी ताकि प्रोत्साहन किया जा सके. लेकिन एक साल भी ढंग से भुगतान नहीं हो पाया. मुश्किल से 6 माह ही भुगतान मिला था. महिलाएं कह रही हैं कि कमीशन के भरोसे काम करना मुश्किल है.''

कोरोना काल में पहुंचाई सेवा: बैंक सखी मंजू साहू ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि ''कोरोना महामारी के दौरान छत्तीसगढ़ में बालोद जिले के दूरस्थ गांवों में हम बैंक सखियां बन कर अपने कर्तव्य का निर्वहन कर रहे थे. लेकिन आज हमें ही उपेक्षित किया जा रहा है.''

सीईओ ने कहा कमीशन पर करना होगा काम: बालोद जिला पंचायत सीईओ रेणुका श्रीवास्तव ने महिलाओं को जानकारी दी कि महिलाओं को वेतन नहीं बल्कि कमीशन के भरोसे काम करना है. उन्होंने बताया कि महिलाएं बैंक ट्रांजेक्शन करती हैं, उसके बदले उन्हें कमीशन दिया जाता है.

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