बालोद: कोरोना वायरस के संक्रमण में काफी कुछ बदला है. 3 महीने के लिए किए गए लॉकडाउन में बहुत से प्रवासी मजदूर अपने घर लौट आए थे. शुरुआत में राज्य सरकार ने मनरेगा के तहत मजदूरों को काम दिया, ताकि इनकी रोजी रोटी चल सके. अब मजदूर पर रोजी रोटी का संकट मंडरा रहा है. मजदूर एक बार फिर महानगर लौटने को मजबूर हैं. बालोद जिले में प्रशासन का आंकड़ा बताता है कि दीगर राज्यों में काम करने गए 12 हजार 200 मजदूर वापस लौटे चुके हैं. लेकिन अब मजदूरों को रोजगार लालन-पालन का भय सता रहा है.
मजदूरों का कहना है कि जब मनरेगा का काम चल रहा था, तब जॉब कार्ड नहीं बना था. आज छोटे-मोटे काम कर गुजारा तो हो रहा है, लेकिन अब वो महानगर वापस लौटना चाहते हैं, ताकि पर्याप्त रोजगार मिल सके. प्रदेश में कोरोना वायरस का आंकड़ा बढ़ता गया तो छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने सारा ठीकरा प्रवासी मजदूरों पर फोड़ दिया, सरकार के मुताबिक ये संक्रमण प्रवासी मजदूरों के लौटने से बढ़ा है. अगर इन मजदूरों को छत्तीसगढ़ में ही पर्याप्त काम दे दिया जाता तो फिर क्यों यह मजदूर गैर राज्यों पर निर्भर रहते. इनके हालात देखकर ऐसा लग रहा है कि, यह मजदूर में एक बार फिर मजबूर नजर आ रहे हैं.
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क्या कहता है प्रशासन
प्रवासी मजदूरों के एक बार फिर महानगर रूख करने पर जिलाधीश जनमेजय महोबे से जब जानकारी ली गई, तो उनका कहना था कि प्रवासी मजदूर जो बाहर काम करने गए थे वह कोरोना वायरस संक्रमण और लॉकडाउन की वजह से वापस आए. लॉकडाउन खत्म हो चुका है और प्रवासी मजदूरों को मनरेगा के माध्यम से कार्य दिया गया है और वर्तमान में निकाय क्षेत्रों के लिए भी रोजगार की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जा रही है. उन्होंने ये भी कहा कि उन्हें बैंकों के माध्यम से छोटे-छोटे लोन दिलाकर व्यापार शुरू कराया जा रहा है.