बालोद : छत्तीसगढ़ में आगामी महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं.लेकिन चुनाव से पहले ही कुछ गांवों ने मतदान में हिस्सा लेने से मना किया है. ऐसे ही एक गांव बालोद जिले का गोरकापार है.इस गांव के लोग स्वतंत्र पंचायत का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गोरकापार ग्राम पंचायत चीचा का आश्रित गांव है.जिसके कारण परेशानी हो रही है. ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर अपना काम बंद करके सैकड़ों की संख्या में कलेक्ट्रेट पहुंचे थे. ग्रामीणों ने अलग पंचायत की मांग पूरी न होने पर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी है.
आश्रित गांव में नहीं हुआ विकास :ग्रामीणों ने बताया कि उनका गांव आदिवासी बाहुल्य गांव है. अनुसूचित जनजातीय वर्ग की उपेक्षा इस गांव में हो रही है. ग्रामीण अनिल मानकर ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य बने 23 वर्ष हो चुके हैं.लेकिन हमारा गांव आदिवासी बाहुल्य होने के बाद भी विकास कार्यों से कोसों दूर है.ग्राम गोरकापार में आने जाने के लिए एक ही रास्ता है. वह भी जर्जर अवस्था में है. बीच में एक नाला पड़ता है. वह हर वर्ष बरसात के पानी में बह जाता है.जिसके कारण हम काफी परेशान रहते हैं.
''गांव में केवल प्राथमिक स्तर तक ही स्कूल है. उच्च शिक्षा के लिए दूसरे गांव पर आश्रित रहना पड़ता है. आश्रित गांव होने के कारण आदिवासी बाहुल्य लोग होने के कारण यहां पर विकास रुका हुआ है. सिंचाई के लिए नहर नाली की व्यवस्था का भी अभाव है .कृषि उत्पादन में हमारा गांव पिछड़ा हुआ है.'' महाजन सिंह ठाकुर,ग्रामीण